आज का पंचांग
*दिनांक – 11 सितम्बर 2024*
*दिन – बुधवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – अष्टमी रात्रि 11:46 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 09:22 तक तत्पश्चात मूल*
*योग – प्रीति रात्रि 11:55 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल – दोपहर 12:36 से दोपहर 02:09 तक*
*सूर्योदय – 05 :51*
*सूर्यास्त – 06:09*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*अग्निवास*
08+04+01=13÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
08+08+5=21÷7 =00 श्मशान वासे।
व्रत पर्व विवरण – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 11:45 तक), राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत शुरू, दूर्वा अष्टमी, जयेष्ठ गौरी पूजा, मासिक दुर्गाष्टमी*
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*बुधवारी अष्टमी*
*11 सितम्बर 2024 बुधवार को (सूर्योदय से रात्रि 11:46 तक) बुधवारी अष्टमी है ।*
*मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि*
*सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।*
इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)
*राधा अष्टमी*
11 सितम्बर, बुधवार को श्रीराधा अष्टमी है। जन्माष्टमी के पूरे 15 दिन बाद ब्रज के रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ । भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। पुराणों में राधा और रुक्मिणी को एक ही माना जाता है। जो लोग राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना करते हैं, उनका घर धन संपदा से सदा भरा रहता है।
*पुराणों के अनुसार राधा अष्टमी*
स्कंद पुराण के अनुसार राधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। इसी कारण भक्तजन सीधी-साधी भाषा में उन्हें ‘राधारमण’ कहकर पुकारते हैं।
पद्म पुराण में ‘परमानंद’ रस को ही राधा-कृष्ण का युगल-स्वरूप माना गया है। इनकी आराधना के बिना जीव परमानंद का अनुभव नहीं कर सकता।
भविष्य पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुए, तब भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महाराज वृषभानु की पत्नी कीर्ति के यहां भगवती राधा अवतरित हुई। तब से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी ‘राधाष्टमी’ के नाम से विख्यात हो गई।
नारद पुराण के अनुसार ‘राधाष्टमी’ का व्रत करनेवाला भक्त ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेता है।
पद्म पुराण में सत्यतपा मुनि सुभद्रा गोपी प्रसंग में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। राधा और कृष्ण को ‘युगल सरकार’ की संज्ञा तो कई जगह दी गई है।
*घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है तो*
स्कंदपुराण और दूसरे ग्रंथों में बात आयी है कि जिन लोगों के घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है उनके लिए भाद्र शुक्ल अष्टमी (11 सितम्बर, बुधवार) के दिन से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) माने 24 सितम्बर, मंगलवार तक महालक्ष्मी माता का पूजन विधान स्कंदपुराण, आदि ग्रंथो में बताया गया है और इस सरल विधान के अनुसार 11 सितम्बर से 24 सितम्बर तक नित्य प्रात: लक्ष्मी माता का सुमिरन करते हुए – ॐ लक्ष्मयै नम: ॐ लक्ष्मयै नम: ॐ लक्ष्मयै नम: मंत्र का 16 बार प्रति दिन जप करें और फिर लक्ष्मीमाता का पूजन करते हुए एक श्लोक पाठ करें । इससे समय, शक्ति खर्च नहीं होगी उल्टा पुण्य भी बढ़ेगा | श्लोक इस प्रकार है-
*धनं धान्यं धराम हरम्यम, कीर्तिम आयुर्यश: श्रीयं,*
*दुर्गां दंतीन: पुत्रां, महालक्ष्मी प्रयच्छ मे ‘*
*”ॐ श्री महालक्ष्मये नमः” “ॐ श्री महालक्ष्मये नमः”*
सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ
*शत्रुओं की बदनीयत विफल करने हेतु*
जो शत्रुओं से घिरा है वह सद्गुरु के द्वार पर जब आरती होती हो तो उसका दर्शन करे, उसके सामने शत्रुओं की दाल नहीं गलेगी ।
*नजर दोष निवारण के लिए*
घर में किसीको नजर लगी हो तो घर के आँगन में तुलसी का पौधा (गमले में या जैसी व्यवस्था हो) लगाकर उसके सामने रोज सायंकाल में दीपक प्रज्वलित करें ।
*लक्ष्मीप्राप्ति हेतु करें यह प्रयोग*
धन का लाभ नहीं हो रहा हो तो, शुक्रवार से गोधूलि वेला में पूजाघर में या तुलसी के पौधे के सामने नित्य देशी गाय के घी का दीपक जलायें ।
*विवाह की बाधा दूर करने का उपाय*
यदि किसी कन्या का विवाह न हो पा रहा हो तो पूर्णिमा को वटवृक्ष की १०८ परिक्रमा करने से विवाह की बाधा दूर हो जाती है । गुरुवार को बड़ या पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करने से भी विवाह की बाधा दूर होती है ।
*दर्द- निवारण हेतु अनुभूत रामबाण प्रयोग*
शरीर में जितनी जगह दर्द हो रहा है उसके अनुरूप प्याज लेकर कुचल लें । सोने से पहले सरसों का तेल और आवश्यकतानुसार हल्दी मिलाकर प्याज को भून लें । फिर सहने योग्य गरम रहते हुए इसे दर्द के स्थान पर कपड़े से बाँध लें । बिस्तर, कपड़े आदि खराब न हों इसलिए ऊपर से पॉलीथीन बाँध सकते हैं । इस अनुभूत रामबाण प्रयोग को कुछ दिन करने से दर्द में लाभ होता है ।
*पंचक*
16 सितम्बर 2024 सोमवार को सुबह 05:45 बजे से 20 सितम्बर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 05:15 बजे तक।
*एकादशी*
14 सितम्बर 2024 पद्मा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
15 सितम्बर 2024 दिन रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
17 सितम्बर 2024 दिन मंगलवार अनंत चतुर्दशी व्रत पूर्णिमा।
पूर्णिमा श्राद्ध।
18 सितम्बर 2024 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
प्रतिपदा श्राद्ध।
*पंo वेदान्त अवस्थी