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आज का पंचांग 27 अक्टूबर 2024

By Janhit TV

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~ आज का पञ्चाङ्ग~
*दिनांक – 27 अक्टूबर 2024*
*दिन – रविवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद ॠतु*
*मास – कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र अश्विन)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – एकादशी पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र – मघा दोपहर 12:24 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग – ब्रह्म पूर्ण रात्रि तक*
*राहुकाल – शाम 04:40 से शाम 06:06 तक*
*सूर्योदय -06:25*
*सूर्यास्त- 05:35*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*अग्निवास*
26+01+01=28÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
26+26+5=57÷7 =01 कैलाश वासे।
*व्रत पर्व विवरण – एकादशी वृद्धि तिथि*
विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l *राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
*धनतेरस*
*29 अक्टूबर 2024 मंगलवार को धनतेरस है ।*
कार्तिक कृष्ण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन) त्रयोदशी के दिन को धनतेरस कहते हैं । भगवान धनवंतरी ने दुखी जनों के रोग निवारणार्थ इसी दिन आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन सन्ध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हे इस मंत्र के साथ दीप दान करना चाहिये-
*मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह ।*
*त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥*
(त्रयोदशी के इस दीपदान के पाश और दण्डधारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान देव यम, देवी श्यामला सहित मुझ पर प्रसन्न हो।)

*गोवत्स द्वादशी*
कार्तिक मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन मास) की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं । इस दिन यानी 28 अक्टूबर 2024 सोमवार को दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढाना चाहिये, गले में पुष्पमाला पहनाना , सींग मढ़ना, चन्दन का तिलक करना तथा ताम्बे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल, और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिये ।
*क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते ।*
*सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः ॥*
(समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न देवताओं तथा दानवों द्वारा नमस्कृत, सर्वदेवस्वरूपिणी माता तुम्हे बार बार नमस्कार है।)
पूजा के बाद गौ को उड़द के बड़े खिलाकर यह प्रार्थना करनी चाहिए-
*“सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।*
*सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ॥*
*ततः सर्वमये देवि*
*मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरू नन्दिनी ॥“*
(हे जगदम्बे ! हे स्वर्गवासिनी देवी ! हे सर्वदेवमयी ! मेरे द्वारा अर्पित इस ग्रास का भक्षण करो । हे समस्त देवताओं द्वारा अलंकृत माता ! नन्दिनी ! मेरा मनोरथ पूर्ण करो।) इसके बाद रात्रि में इष्ट , ब्राम्हण , गौ तथा अपने घर के वृद्धजनों की आरती उतारनी चाहिए।

*पंचक*
09 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को रात्रि 11:28 बजे से 13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार को रात्रि 03: 11बजे तक।
*एकादशी*
28 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार रम्भा एकादशी।
12 नवम्बर 2024 दिन मंगलवार हरि प्रबोधिनी (देव उठनी) एकादशी।
*प्रदोष*
29 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।
30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार (मासिक शिव रात्रि) नरक चतुर्दशी।
*पूर्णिमा*
15 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार स्नान दान, व्रत पूर्णीमा, गुरुनानक जयंती, कार्तिक स्नान पूर्ण।
*अमावस्या*
31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को दीप उत्सव अमावस्या।
01 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार को स्नान दान अमावस्या।
02 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को गोवर्धन पूजा।
03 नवम्बर 2024 दिन रविवार भैया दूज

*पंo वेदान्त अवस्थी*

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