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आज का पंचांग 9 अक्टूबर 2024

By Janhit TV

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आज का पञ्चाङ्ग

*दिनांक – 09 अक्टूबर 2024*
*दिन – बुधवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद ॠतु*
*मास – अश्विन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – षष्ठी दोपहर 12:14 तक सप्तमी*
*नक्षत्र – मूल 10 अक्टूबर प्रातः 05:15 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*योग – सौभाग्य सुबह 06:37 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहुकाल – दोपहर 12:26 से दोपहर 01:54 तक*
*सूर्योदय -06:11*
*सूर्यास्त- 05:49*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
l *दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
अग्निवास*
06+04+01=11÷4=03 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
06+06+5=17÷7 =03 वृषारूढ़ा वासे।
*व्रत पर्व विवरण – सरस्वती आवाहन*
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए*
अगर काम धंधा करते समय सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी हो.. बेल के कोमल कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को अर्पण करने से …. मंत्र बोले ” ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः । ” और थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है गुरु मंत्र का जप और कभी कभी ये प्रयोग करें नवरात्रियों में तो खास करें | देवी भागवत में वेद व्यास जी ने बताया है।
*दुर्गाष्टमी*
*11 अक्टूबर, शुक्रवार को दुर्गाष्टमी है ।*
प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।
*नारदपुराण पूर्वार्ध अध्याय 117*
*आश्विने शुक्लपक्षे तु प्रोक्ता विप्र महाष्टमी ।। ११७-७६ ।।*
*तत्र दुर्गाचनं प्रोक्तं सव्रैरप्युपचारकैः ।।*
*उपवासं चैकभक्तं महाष्टम्यां विधाय तु ।। ११७-७७ ।।*
*सर्वतो विभवं प्राप्य मोदते देववच्चिरम् ।।*
आश्विन मास के शुक्लपक्ष में जो अष्टमी आती है, उसे महाष्टमी कहा गया है (महाष्टमी 11 अक्टूबर, शुक्रवार को है ) उसमें सभी प्रकार से दुर्गा के पूजन का विधान है। जो महाष्टमी को उपवास अथवा एकभुक्त व्रत करता है, वह सब ओर से वैभव पाकर देवता की भाँति चिरकाल तक आनंदमग्न रहता है।
*भविष्यपुराण, उत्तरपर्व, अध्याय – २६*
देव, दानव, राक्षस, गन्धर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, नर आदि सभी अष्टमी तथा नवमी को उनकी पूजा-अर्चना करते हैं | आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी को जगन्माता भगवती श्रीअम्बिका का पूजन करने से सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो जाती है | यह तिथि पुण्य, पवित्रता, धर्म और सुख को देनेवाली है | इस दिन मुंडमालिनी चामुंडा का पूजन अवश्य करना चाहिये |
*देवीभागवतपुराण पञ्चम स्कन्ध*
*अष्टम्याञ्च चतुर्दश्यां नवम्याञ्च विशेषतः ।*
*कर्तव्यं पूजनं देव्या ब्राह्मणानाञ्च भोजनम् ॥*
*निर्धनो धनमाप्नोति रोगी रोगात्प्रमुच्यते ।*
*अपुत्रो लभते पुत्राञ्छुभांश्च वशवर्तिनः ॥*
*राज्यभ्रष्टो नृपो राज्यं प्राप्नोति सार्वभौमिकम् ।*
*शत्रुभिः पीडितो हन्ति रिपुं मायाप्रसादतः ॥*
*विद्यार्थी पूजनं यस्तु करोति नियतेन्द्रियः ।*
*अनवद्यां शुभा विद्यां विन्दते नात्र संशयः ॥*
अष्टमी, नवमी एवं चतुर्दशी को विशेष रूप से देवीपूजन करना चाहिए और इस अवसर पर ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए। ऐसा करने से निर्धन को धन की प्राप्ति होती है, रोगी रोगमुक्त हो जाता है, पुत्रहीन व्यक्ति सुंदर और आज्ञाकारी पुत्रों को प्राप्त करता है और राज्यच्युत राज को सार्वभौम राज्य प्राप्त करता है। देवी महामाया की कृपा से शत्रुओं से पीड़ित मनुष्य अपने शत्रुओं का नाश कर देता है। जो विद्यार्थी इंद्रियों को वश में करके इस पूजन को करता है, वह शीघ्र ही पुण्यमयी उत्तम विद्या प्राप्त कर लेता है इसमें संदेह नहीं है।
*नवरात्रि अष्टमी को महागौरी की पूजा सर्वविदित है*
अग्निपुराण के अध्याय 268 में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को भद्रकाली की पूजा का विधान वर्णित है।
स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड कुमारिकाखण्ड में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को वत्सेश्वरी देवी की पूजा का विधान बताया है।
गरुड़पुराण अष्टमी तिथिमें दुर्गा और नवमी तिथिमें मातृका तथा दिशाएँ पूजित होनेपर अर्थ प्रदान करती है ।

*शारदीय नवरात्रि*
नवरात्र की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं । इससे घर में सुख समृद्धि आती है ।
*शारदीय नवरात्रि*
*मन की शांति मिलती है मां महागौरी की पूजा से*
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।

*पंचक*
13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को साय 03:44 बजे से 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार साय 04:20 बजे तक।
*नवरात्रि*
12 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार सरस्वती विसर्जन, नीलकंठ दर्शन,व्रत पारण कन्याभोज इत्यादि।
*एकादशी*
13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार पापंकुशा एकादशी स्मार्त व्रत (गृहस्थ)।
14 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार पापंकुशा एकादशी व्रत वैष्णव।
*प्रदोष*
15 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार व्रत पूर्णिमा।
17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार स्नान दान पूर्णिमा कार्तिक स्नान प्रारम्भ।

*पंo वेदान्त अवस्थी*

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