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आज का पंचांग 8 सितंबर 2024

By Janhit TV

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आज का पंचांग
दिनांक – 8 सितम्बर 2024*
*दिन – रविवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*(गुजरात अनुसार 2080)
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – पंचमी शाम 07:58 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र – स्वाति दोपहर 03:31 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग – इंद्र रात्रि 12:05 सितम्बर 09 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल – शाम 05:17 से शाम 06:50 तक*
*सूर्योदय – 05:49*
*सूर्यास्त – 06:11*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*अग्निवास*
05+01+01=07÷4=03 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
05+05+5=59÷7 =01 कैलाश वासे।
*व्रत पर्व विवरण – ऋषि पंचमी, संवत्सरी पर्व, रवि योग (दोपहर 03:31 से प्रातः 06:24 सितम्बर 09 तक)*
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

*अपने हाथ में ही अपना आरोग्य*
(१) नाक को रोगरहित रखने के लिए हमेशा नाक में सरसों आदि तेल की बूंदें डालने का अभ्यास रखना । कफ की वृद्धि हो या सुबह में पित्त की वृद्धि हो, या दोपहर को वायु की वृद्धि हो तब शाम को बूंदें डालनी । नाक में तेल की बूंदें डालनेवाले आदतियों का मुख सुगन्धित रहता है, शरीर पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती । आवाज स्निग्ध निकलती है। इन्द्रियाँ निर्मल रहती हैं । सफेद बाल जल्दी नहीं आते तथा फुन्सियाँ नहीं होती ।
(२) दिन में सोना नहीं चाहिये कारण कि दिन में सोने से कफ होता है । ग्रीष्म ऋतु के अलावा बाकी के सभी दिनों में दिन में सोना वर्जित है ।
(३) दस वर्ष के बाद बचपन समाप्त होता है, बीस वर्ष के बाद वृद्धि रुक जाती है, तीस वर्ष के बाद कान्ति कम होती है । चालीस वर्ष के बाद स्मरण शक्ति कम होती है । पचास वर्ष के बाद चमड़ी की स्निग्धता कम होती है, साठ वर्ष के बाद नेत्र की शक्ति कम होती है, सत्तर वर्ष के बाद वीर्य कम होता है, अस्सी वर्ष के बाद पराक्रम में कमी होती है । नव्वे वर्ष के बाद बुद्धि कम होती है, सौ वर्ष होने पर कर्मेन्द्रियों की शक्ति कम होती है । एक सौ दस वर्ष के बाद चेतना कम होती है और एक सौ बीस वर्ष के बाद जीवन कम होता है ।
(४) अंगों को दबवाना यह माँस, खून और चमड़ी को खूब साफ करता है, प्रीतिकारक होने से निद्रा लाता है, वीर्य बढ़ाता है तथा कफ, वायु एवं परिश्रम का नाश करता है ।
(५) भोजन के बाद बैठे रहनेवाले के शरीर में आलस भर जाती है । सौ कदम चलनेवाले की उम्र बढ़ती है तथा दौड़नेवाले की मृत्यु उसके पीछे ही दौड़ती है ।
(६) जीवों की नाभि के ऊपर बाईं ओर अग्नि रहता है अतः खाया हुआ पचाने के लिए बाई करवट सोना चाहिये ।
(७) स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल बढ़ाता है, पुष्ट करता है, उत्साह बढ़ाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है जबकि स्वादहीन अन्न ऊपर के कथन से विपरीत असर करता है ।
(८) भोजन के प्रारंभ में नमक तथा अदरक का भक्षण करना यह सर्वकाल में लाभकारी है, अग्नि को प्रज्ज्वलित करनेवाला है, रुचि उत्पन्न करनेवाला है । तथा जीभ और कंठ को साफ करनेवाला है ।
(९) भोजन करते समय माता, पिता, मित्र, वैद्य, रसोइया, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की निगाह उत्तम गिनी जाती है; किन्तु गरीब, हल्के, भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मनुष्य एवं मुर्गे तथा कुत्ते की दृष्टि अच्छी नहीं गिनी जाती ।

*रविवार विशेष*

रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।

*पंचक*
16 सितम्बर 2024 सोमवार को सुबह 05:45 बजे से 20 सितम्बर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 05:15 बजे तक।
*एकादशी*
14 सितम्बर 2024 पद्मा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
15 सितम्बर 2024 दिन रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
17 सितम्बर 2024 दिन मंगलवार अनंत चतुर्दशी व्रत पूर्णिमा।
पूर्णिमा श्राद्ध।
18 सितम्बर 2024 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
प्रतिपदा श्राद्ध।

*पंo वेदान्त अवस्थी*

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