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आज का पंचांग 6 सितंबर 2024

By Janhit TV

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आज का पंचांग
*दिनांक – 6 सितम्बर 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – तृतीया दोपहर 03:01 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र – हस्त प्रातः 09:25 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग – शुक्ल रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहु काल – प्रातः 11:04 से दोपहर 12:38 तक*
*सूर्योदय – 05:47*
*सूर्यास्त – 06:13*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*अग्निवास*
03+06+01=10÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
03+03+5=11÷7 =04 सभायाम वासे।
व्रत पर्व विवरण – श्री वराह जयंती, हरितालिका तृतीया, स्वर्ण गौरी व्रत, चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त – रात्रि 08:56 तक),रूद्र सावर्णि मन्वादि
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है व चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*हरितालिका तीज*
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 06 सितम्बर, शुक्रवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
*विधि*
इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।
प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है।
*भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-*
*ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:*
*भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-*
*ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:*
पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।
*ससुराल में कोई तकलीफ*
किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें ..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं , दूध रोटी खा लें ..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाएं बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल
*माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,*
वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना करें ….जरुर लाभ होगा…
विशेष – 06 सितम्बर 2024 शुक्रवार को भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया है ।

*प्रायश्चित जप*

पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं ।
कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गल्ती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है ।

*ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत ।*
*ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव: ।।*
*समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत ।*
*अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी ।।*
*सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत् ।*
*दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: ।। (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ – ३ )*

इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं । इस प्रकार की विधि है ।
*लक्ष्मी कहाँ विराजती हैं ?*

जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती है । (श्रीमद् देवी भागवत )
घृतकुमारी (ग्वारपाठा) रस

घृतकुमारी शरीर गत दोषों व मल के उत्सर्जन के द्वारा शरीर को शुद्ध व सप्तधातुओं को पुष्ट कर रसायन का कार्य करती है I
विविध त्वचा विकार, पीलिया, रक्ताल्पता, कफजन्य ज्वर, हड्डियों का बुखार, नेत्ररोग, स्त्रीरोग, जलोदर, घुटनों व अन्य जोड़ों का दर्द, जलन, बालों का झड़ना, आदि में उपयोगी है I
पेट के पुराने रोग, चर्मरोग, गठियाव व मधुमेह (डायाबिटीज) में यह विशेष लाभप्रद है I
रस की मात्रा : बच्चों के लिए ५ से १५ मी.ली. तथा बड़ों के लिए १५ से २५ मी.ली. रस सुबह खाली पेट लें I

*हरतालिका तीज व्रत*
06सितम्बर 2024 हरतालिका तीज व्रत।
*पंचक*
16 सितम्बर 2024 सोमवार को सुबह 05:45 बजे से 20 सितम्बर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 05:15 बजे तक।
*एकादशी*
14 सितम्बर 2024 पद्मा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
15 सितम्बर 2024 दिन रविवार प्रदोष व्रत।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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