आज का पञ्चाङ्ग* दिनांक – 06 अक्टूबर 2024* *दिन – रविवार* *संवत्सर –काल युक्त* *शक संवत –1946* *वक्रम संवत् – 2081* *कलि युगाब्द –5126* *अयन – दक्षिणायन* *ऋतु – शरद* *मास – आश्विन* *पक्ष – शुक्ल* *तिथि – तृतीया प्रातः 07:49 तक तत्पश्चात चतुर्थी* *नक्षत्र – विशाखा रात्रि 12:11 अक्टूबर 07 तक तत्पश्चात अनुराधा* *योग – प्रीति प्रातः 06:40 अक्टूबर 07 तक तत्पश्चात आयुष्मान* *राहु काल – शाम 04:53 से शाम 06:22 तक* *सूर्योदय – 06:08* *सूर्यास्त – 05:52* स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है। *दिशा शूल – पश्चिम दिशा में* *अग्निवास* 03+01+01=05÷4=01 स्वर्ग लोक में। *शिववास* 03+03+5=11÷7 =04 सभायाम वासे। *व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी, रवि योग (प्रातः 06:33 से रात्रि 12:11 अक्टूबर 07 तक), तृतीय नवरात्री* विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) *आदिशक्ति की आराधना का पर्व : शारदीय नवरात्र* अश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक का पर्व शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है। यह व्रत- उपवास, आद्यशक्ति माँ जगदम्बा के पूजन-अर्चन व जप- ध्यान का पर्व है। ‘देवी भागवत’ में आता है कि विद्या, धन व पुत्र के अभिलाषी को नवरात्र-व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए। जिसका राज्य छिन गया हो, ऐसे नरेश को पुनः गद्दी पर बिठाने की क्षमता इस व्रत में है। नवरात्र में प्रतिदिन देवी-पूजन, हवन व कुमारी-पूजन करें तथा ब्राह्मण- भोजन करायें तो नवरात्र व्रत पूरा होता है ऐसी उक्ति है। नवरात्र के दिनों में भजन-कीर्तन गाके, वाद्य बजाके और नाचकर बड़े समारोह के साथ उत्सव मनाना चाहिए। भूमि पर शयन एवं यथाशक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए किंतु एक वर्ष व उससे कम उम्र की कन्या नहीं लेनी चाहिए। 2 से 10 वर्ष तक की कन्या को ही लिया जा सकता है। ‘देवी भागवत’ में कहा गया है कि दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करनेवाली भगवती भद्रकाली का अवतार अष्टमी तिथि को हुआ था। मनुष्य यदि नवरात्र में प्रतिदिन पूजन करने में असमर्थ हो तो अष्टमी के दिन उसे विशेष रूप से पूजन करना चाहिए। यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्र के उपवास के फल को प्राप्त करता है। * चिंता, चिड़चिड़ापन व तनाव काल : कम करने हेतु* जो व्यक्ति स्नान करते समय पानी में (5 मि.ली.) गुलाबजल मिलाकर ‘ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा।’ यह मंत्र बोलते हुए सिर पर जल डालता है, उसे गंगा-स्नान का पुण्य होता है तथा साथ ही मानसिक चिंताओं में कमी आती है और तनाव धीरे-धीरे दूर होने लगता है, विचारों का शोधन होने लगता है, चिड़चिड़ापन कम होता है तथा वह अपने-आपको तरोताजा अनुभव करता है। *पंचक* 13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को साय 03:44 बजे से 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार साय 04:20 बजे तक। *नवरात्रि* 03 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार प्रतिपदा नवरात्रि मूहर्त प्रातः 06:35 से 08:03 शुभ वेला। दिवा 12:03 से 12: 50अभिजित वेला पूजन एवम घट स्थापना करना शुभ रहेगा। 11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार दुर्गाष्टमी महानवमी व्रत। 12 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार सरस्वती विसर्जन, नीलकंठ दर्शन,व्रत पारण कन्याभोज इत्यादि। *एकादशी* 13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार पापंकुशा एकादशी स्मार्त व्रत (गृहस्थ)। 14 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार पापंकुशा एकादशी व्रत वैष्णव। *प्रदोष* 15 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत। *पूर्णिमा* 16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार व्रत पूर्णिमा। 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार स्नान दान पूर्णिमा कार्तिक स्नान प्रारम्भ*।
*पंo वेदान्त अवस्थी