आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 05 दिसम्बर 2024*
*दिन – गुरुवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत् – 2081*
*शक संवत –1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – हेमन्त*
*मास – मार्गशीर्ष*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – चतुर्थी दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*नक्षत्र – उत्तराषाढा शाम 05:26 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग – वृद्धि दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल – दोपहर 01:51 से दोपहर 03:12 तक*
*सूर्योदय – 06:45*
*सूर्यास्त – 05:15*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*अग्निवास*
04+05+01=10÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
04+04+5=13÷7 =06 क्रीड़ा याम वासे।
* व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी*
विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*पाचन की तकलीफों में परम हितकारी: अदरक*
आजकल लोग बीमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसीसे अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं । पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण एवं प्रकृति का वरदान है अदरक । स्वस्थ लोगों के लिए यह स्वास्थ्यरक्षक है । बारिश के दिनों में यह स्वास्थ्य का प्रहरी है ।
*सरल है आँतों की सफाई व पाचनतंत्र की मजबूती*
शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है, तब अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । अदरक का रस आमाशय के छिद्रों में जमे कच्चे रस एवं कफ को तथा बड़ी आँतों में जमे आँव को पिघलाकर बाहर निकाल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन-तंत्र स्वस्थ बनता है । यह लार एवं आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ता है, जिससे भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है ।
स्वास्थ्य व भूख वर्धक, वायुनाशक प्रयोग*
रोज भोजन से पहले अदरक को बारीक टुकड़े-टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरुचि मिटती है । भूख खुलती है, वायु नहीं बनती व स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।
रुचिकर, भूखवर्धक, उदररोगनाशक प्रयोग
१०० ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं १०० ग्राम घी में उसे सेंक लें । लाल होने पर उसमें २०० ग्राम गुड़ डालें व हलवे की तरह गाढ़ा बना लें । (घी न हो तो २०० ग्राम अदरक को कद्दूकश करके २०० ग्राम शक्कर मिलाकर पाक बना लें ।) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मिलायें तो और भी लाभ होगा । वर्षा ऋतु में ५ से १० ग्राम एवं शीत ऋतु में १०-१० ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है । भूख खुलकर लगती है । बारिश के कारण उत्पन्न बीमारियों में यह अति लाभदायी है ।
अपच : (१) भोजन से पहले ताजा अदरक रस, नींबू रस व सेंधा नमक मिलाकर लें एवं भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें । यह कब्ज व पेट की वायु में भी हितकारी है ।
(२) अदरक, सेंधा नमक व काली मिर्च को चटनी की तरह बनाकर भोजन से पहले लें ।
खाँसी, जुकाम, दमा : अदरक रस व शहद १०-१० ग्राम दिन में ३ बार सेवन करें । नींबू का रस २ बूँद डालें तो और भी गुणकारी होगा ।
बुखार : तेज बुखार में अदरक का ५ ग्राम रस एवं उतना ही शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है । इन्फ्लूएंजा, जुकाम, खाँसी के साथ बुखार आने पर तुलसी के १०-१५ पत्ते एवं काली मिर्च के ६-७ दाने २५० ग्राम पानी में डालें । इसमें २ ग्राम सोंठ मिलाकर उबालें । स्वादानुसार मिश्री मिला के सहने योग्य गर्म ही पियें ।
वातदर्द : १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर, जाँघ आदि में उत्पन्न वातदर्द में राहत मिलती है ।
जोडों का दर्द : २ चम्मच अदरक रस में १-१ चुटकी सेंधा नमक व हींग मिला के मालिश करें ।
गठिया : १० ग्राम अदरक छील के १०० ग्राम पानी में उबाल लें । ठंडा होने पर शहद मिलाकर पियें । कुछ दिन लगातार दिन में एक बार लें । यह प्रयोग वर्षा या शीत ऋतु में करें ।
गला बैठना : अदरक रस शहद में मिलाकर चाटने से बैठी आवाज खुलती है व सुरीली बनती है ।
सावधानी : रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक न खायें । अदरक को फ्रिज में न रखें, रविवार को न खायें ।
*पंचक*
07 दिसम्बर 2024 दिन शनिवार को सुबह 05:07 बजे से 11 दिसम्बर 2024 दिन बुधवार को दोपहर 11:48 बजे तक।
*एकादशी*
11 दिसम्बर 2024 बुधवार मोक्षदा एकादशी व्रत (गृहस्थ)।
12 दिसम्बर 2024दिन गुरुवार मोक्षदा एकादशी व्रत (वैष्णव)।
*प्रदोष*
13 दिसम्बर 2023 दिन शुक्रवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
14 दिसम्बर 2024 दिन शनिवार व्रत पूर्णिमा।
15 दिसम्बर 2024 दिन रविवार स्नान दान पूर्णिमा।