आज का पंचांग
*दिनांक – 4 सितम्बर 2024*
*दिन – बुधवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – प्रतिपदा प्रातः 09:46 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी प्रातः 06:14 सितम्बर 5 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग – साध्य रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल – दोपहर 12:38 से दोपहर 02:12 तक*
*सूर्योदय – 05:45*
*सूर्यास्त – 06:15*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*अग्निवास*
01+04+01=06÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
01+01+5=07÷7 =00 श्मशान वासे।
विशेष – प्रतिपदा को पेठा तथा द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*सौ गुना फलदायी “शिवा चतुर्थी”*
07 सितम्बर, शनिवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है ।
भविष्य पुराण के अनुसार ‘भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है | इस दिन किये गये स्नान, दान, उपवास, जप आदि सत्कर्म सौ गुना हो जाते हैं |
इस दिन जो स्री अपने सास-ससुर को गुड़ के तथा नमकीन पुए खिलाती है वह सौभाग्यवती होती है | पति की कामना करनेवाली कन्या को विशेषरूप से यह व्रत करना चाहिए |’
*गणेश-कलंक चतुर्थी* ( ‘ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्न-निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है |
*गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय*
इस वर्ष – 06 सितम्बर 2024 शुक्रवार को चंद्र दर्शन निषेध चन्द्रास्त : रात्रि 08:56 एवं 07 सितम्बर, शनिवार को चंद्र दर्शन निषेध चन्द्रास्त : रात्रि 09:27
भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया है इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है।
*भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।*
*अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥*
अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।
*चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र*
यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो व्यक्ति को निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिये। मंत्र का २१, ५४ या १०८ बार जप करें । ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र निम्न है।
*सिंहः प्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।*
*सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः ॥*
अर्थात: सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः ७८)
चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है | इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के वचन या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता है |
*भोजन हेतु कैसे पात्रों का उपयोग हो ?*
भोजन बनाने व खाने हेतु एल्यूमीनियम और प्लास्टिक के बर्तनों के प्रयोग से भोजन में हानिकारक रासायनिक पदार्थ मिश्रित हो जाते हैं । एल्यूमीनियम के बर्तनों में पकाया गया विटामिन्सयुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थ भी अपने गुण खो बैठता है । विशेषज्ञों का मानना है कि एल्यूमीनियम की विषाक्तता के कारण आँतों में जलन होने लगती है तथा आँतों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है । एल्यूमीनियम के बर्तनों में भोजन बनाना हानिकारक है ।
अतः भोजन बनाने व पाने हेतु उपरोक्त बर्तनों की अपेक्षा देशी मिट्टी (चीनी मिट्टी आदि नहीं), काँच, स्टील या कलई किये हुए पीतल के बर्तनों का प्रयोग हितकारी है ।
केला, पलाश अथवा बड़ के पत्ते रूचि उत्पन्न करने वाले तथा विषदोष नाशक और जठराग्निवर्धक होते हैं अतः भोजन करने के लिए इनकी पत्तलों का उपयोग भी हितावह है ।
खाद्य पदार्थों को फ्रिज अथवा कोल्ड स्टोरेज में रखने से उनका प्राकृतिक स्वरूप बदल जाता है और पौष्टिक तत्त्वों में कमी आ जाती है ।
भोजन में संयम व सावधानी रखने से तथा उपरोक्त नियमों का पालन करने से हम अपने शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं तथा मन की प्रसन्नता पा सकते हैं ।
*दुकान में उन्नति*
सुबह दुकान खोलने पर थोड़ी कपूर जला कर आरती कर लें और जहाँ दुकान के मालिक बैठते हों वहां, जिधर से ग्राहक आते हों उधर भी आरती कर लें । इससे दुकान में उन्नति होगी ।
*पढने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो…*
जिन बच्चों का पढाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :
१ ग्राम कपूर और मौलसिरी का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें । अथवा उसके तकिये में मौलसिरी के ३ बीज रख दें ।
*सुख – शांति व धनवृद्धि हेतु*
सफेद पलाश के एक या अधिक पुष्पों को किसी शुभ महूर्त में लाकर तिजोरी में सुरुक्षित रखने से उस घ में सुख-शांति रहती है, धन-आगमन में बहुत वृद्धि होती है ।
*हरतालिका तीज व्रत*
06सितम्बर 2024 हरतालिका तीज व्रत।
*पंचक*
16 सितम्बर 2024 सोमवार को सुबह 05:45 बजे से 20 सितम्बर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 05:15 बजे तक।
*एकादशी*
14 सितम्बर 2024 पद्मा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
15 सितम्बर 2024 दिन रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
17 सितम्बर 2024 दिन मंगलवार अनंत चतुर्दशी व्रत पूर्णिमा।
पूर्णिमा श्राद्ध।
18 सितम्बर 2024 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
प्रतिपदा श्राद्ध।
*पंo वेदान्त अवस्थी*