*आज का पंचांग* *दिनांक – 27 सितम्बर 2024* *दिन – शुक्रवार* *संवत्सर –काल युक्त* *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)* *शक संवत – 1946* *कलि युगाब्द –5126* *अयन – दक्षिणायन* *ऋतु – शरद ॠतु* *मास – अश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र भाद्रपद)* *पक्ष – कृष्ण* *तिथि – दशमी दोपहर 01:20 तक तत्पश्चात एकादशी* *नक्षत्र – पुष्य 28 सितम्बर रात्रि 01:30 तक तत्पश्चातत अश्लेशा* *योग – शिव रात्रि 11:34 तक तत्पश्चात सिद्ध* *राहुकाल – सुबह 10:29 से दोपहर 11:59 तक* *सूर्योदय – 06:02* *सूर्यास्त – 05:58* _स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है। *दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे* *अग्निवास* 26+06+01=33÷4=01 स्वर्ग लोक में। *शिववास* 26+26+5=57÷7 =01 कैलाश वासे। *व्रत पर्व विवरण – दशमी का श्राद्ध* *एकादशी व्रत के लाभ* 27 सितम्बर 2024 शुक्रवार को दोपहर 01:20 से 28 सितम्बर, शनिवार को दोपहर 02:49 तक एकादशी है। विशेष – 28 सितम्बर, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे। जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है । एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है । धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है । कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है । परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है । *एकादशी के दिन करने योग्य* एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें 👉🏻……. अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे। *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है… ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा है। *पंचक* 13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को साय 03:44 बजे से 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार साय 04:20 बजे तक। *नवरात्रि* 03 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार प्रतिपदा नवरात्रि मूहर्त प्रातः 06:35 से 08:03 शुभ वेला। दिवा 12:03 से 12: 50अभिजित वेला पूजन एवम घट स्थापना करना शुभ रहेगा। 11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार दुर्गाष्टमी महानवमी व्रत। 11 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार सरस्वती विसर्जन, नीलकंठ दर्शन,व्रत पारण कन्याभोज इत्यादि। *एकादशी* 28 सितम्बर 2024 दिन शानिवार एकादशी व्रत सर्वे। 13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार पापंकुशा एकादशी स्मार्त व्रत (गृहस्थ)। 14 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार पापंकुशा एकादशी व्रत वैष्णव। *प्रदोष* 30 सितम्बर 2024 दिन सोमवार को प्रदोष व्रत। (मासिक शिव रात्रि) 15 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत। *अमावस्या* 02 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार पितृ विसर्जन अमावस्या। *पूर्णिमा* 16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार व्रत पूर्णिमा। 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार स्नान दान पूर्णिमा कार्तिक स्नान प्रारम्भ।
*पंo वेदान्त अवस्थी*