आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 20 अक्टूबर 2024*
*दिन – रविवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद ॠतु*
*मास – कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र अश्विन)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – तृतीया सुबह 06:46 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र – कृत्तिका सुबह 08:31 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग – व्यतीपात दोपहर 02:12 तक तत्पश्चात वरीयान*
*राहुकाल – शाम 04:44 से शाम 0610 तक*
*सूर्योदय -06:19*
*सूर्यास्त- 05:41*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय, चंद्रोदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*अग्निवास*
18+01+01=20÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
18+18+5=41÷7 = 06 क्रीड़ा याम वासे।
*व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी,(चन्द्रोदय : रात्रि 08:15),करवा चौथ,करक चतुर्थी,दशरथ चतुर्थी,चतुर्थी क्षय तिथि*
विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
*कार्तिक में दीपदान*
*गताअंक से आगे …..*
*दीपदान कहाँ करें*
*पद्मपुराण के अनुसार*
*तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्। दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः।।*
जिसने कार्तिक में भगवान् केशव के समक्ष दीपदान किया है, उसने सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया और समस्त तीर्थों में गोता लगा लिया।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है जो कार्तिक में श्रीहरि को घी का दीप देता है, वह जितने पल दीपक जलता है, उतने वर्षों तक हरिधाम में आनन्द भोगता है। फिर अपनी योनि में आकर विष्णुभक्ति पाता है; महाधनवान नेत्र की ज्योति से युक्त तथा दीप्तिमान होता है।
*स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड-केदारखण्ड के अनुसार*
*ये दीपमालां कुर्वंति कार्तिक्यां श्रद्धयान्विताः॥*
*यावत्कालं प्रज्वलंति दीपास्ते लिंगमग्रतः॥*
*तावद्युगसहस्राणि दाता स्वर्गे महीयते॥*
जो कार्तिक मास की रात्रि में श्रद्धापूर्वक शिवजी के समीप दीपमाला समर्पित करता है, उसके चढ़ाये गए वे दीप शिवलिंग के सामने जितने समय तक जलते हैं, उतने हजार युगों तक दाता स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।
*लिंगपुराण के अनुसार*
*कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।*
*संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।*
*विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए*
20 नवम्बर 2024 रविवार को संकष्ट चतुर्थी है (चन्द्रोदय रात्रि 08:15)
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
*ॐ गं गणपते नमः ।*
*ॐ सोमाय नमः ।*
*कोई कष्ट हो तो*
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम:* : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
*ॐ दुर्मुखाय नम:* : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
*ॐ मोदाय नम:* : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
*ॐ प्रमोदाय नम:* : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
*ॐ अविघ्नाय नम:*
*ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
*पंचक*
09 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को रात्रि 11:28 बजे से 13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार को रात्रि 03: 11बजे तक।
*एकादशी*
28 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार रम्भा एकादशी।
12 नवम्बर 2024 दिन मंगलवार हरि प्रबोधिनी (देव उठनी) एकादशी।
*प्रदोष*
29 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।
30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार (मासिक शिव रात्रि) नरक चतुर्दशी।
*पूर्णिमा*
15 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार स्नान दान, व्रत पूर्णीमा, गुरुनानक जयंती, कार्तिक स्नान पूर्ण।
*अमावस्या*
31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को दीप उत्सव अमावस्या।
01 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार को स्नान दान अमावस्या।
02 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को गोवर्धन पूजा।
03 नवम्बर 2024 दिन रविवार भैया दूज
*पंo वेदान्त अवस्थी*