*~ आजका पञ्चाङ्ग~*
*दिनांक – 19 नवम्बर 2024*
*दिन – मंगलवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – हेमंत ॠतु*
*मास – मार्गशीर्ष (गुजरात-महाराष्ट्र कार्तिक)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – चतुर्थी शाम 05:28 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र – आर्द्रा दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग – साध्य दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहुकाल – शाम 03:10 से शाम 04:33 तक*
*सूर्योदय –06:38*
*सूर्यास्त – 05:22*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
*अग्निवास*
19+03+01=23÷4=03 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
19+19+5=43÷7 =0 कैलाश वासे।
*व्रत पर्व विवरण – मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से शाम 05:28 तक)*
विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*स्वास्थ्यवर्धक आँवला*
आँवला एक ऐसा श्रेष्ठ फल है जो वात, पित्त व कफ तीनों दोषों का शमन करता है तथा मधुर, अम्ल, कड़वा, तीखा व कसैला इन पाँच रसों की शरीर में पूर्ति करता हैं | आँवले के सेवन से आयु, स्मृति, कांति एवं बल बढ़ता है | ह्रदय एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलती है | आँखों के तेज में वृद्धि, बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होना आदि अनेकों लाभ होते हैं | शास्त्रों में आँवले का सेवन पुण्यदायी माना गया हैं | अत: अस्वस्थ एवं निरोगी सभी को आँवले का किसी-न-किसी रूप में सेवन करना ही चाहिए |
*आँवले के मीठे लच्छे*
सामग्री : ५०० ग्राम आँवला, ५ ग्राम काला नमक, चुटकीभर सादा नमक, चुटकीभर हींग, ५०० ग्राम मिश्री, आधा चम्मच नींबू का रस, १५० ग्राम तेल |
विधि : आँवलों को धोकर कद्दूकश कर लें | गुलाबी होने तक इनको तेल में सेंके फिर कागज पर निकालकर रखें ताकि कागज सारा तेल सोख लें | इनमे काला नमक व नींबू का रस मिलाकर अलग रख दें | मिश्री की चाशनी बना के इनको उसमें थोड़ी देर पका लें | बस, हो गए आँवले के मीठे लच्छे तैयार ! इन्हें काँच के बर्तन में भरकर रख लें |
*सर्दियों के लिए बल व पुष्टि का खजाना*
रात को भिगोयी हुई १ चम्मच उड़द की दाल सुबह महीन पीसकर उसमें २ चम्मच शुद्ध शहद मिला के चाटें | १ – १.३० घंटे बाद मिश्रीयुक्त दूध पियें | पूरी सर्दी यह प्रयोग करने से शरीर बलिष्ठ और सुडौल बनता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है |
दूध के साथ शतावरी का २ – ३ ग्राम चूर्ण लेने से दुबले-पतले व्यक्ति, विशेषत: महिलाएँ कुछ ही दिनों में पुष्ट जो जाती हैं | यह चूर्ण स्नायु संस्थान को भी शक्ति देता हैं |
रात को भिगोयी हुई ५ – ७ खजूर सुबह खाकर दूध पीना या सिंघाड़े का देशी घी में बना हलवा खाना शरीर के लिए पुष्टिकारक है |
रोज रात को सोते समय भुनी हुई सौंफ खाकर पानी पीने से दिमाग तथा आँखों की कमजोरी में लाभ होता है |
आँवला चूर्ण, घी तथा शहद समान मात्रा में मिलाकर रख लें | रोज सुबह एक चम्मच खाने से शरीर के बल, नेत्रज्योति, वीर्य तथा कांति में वृद्धि होती है | हड्डियाँ मजबूत बनती हैं |
१०० ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को २० ग्राम घी में मिलाकर मिट्टी के पात्र में रख दें | सुबह ३ ग्राम चूर्ण दूध के साथ नियमित लेने से कुछ ही दिनों में बल-वीर्य की वृद्धि होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है |
शक्तिवर्धक खीर : ३ चम्मच गेहूँ का दलिया व २ चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें | प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें | आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं | यह खीर शक्तिवर्धक है |
हड्डी जोडनेवाला हलवा : गेहूँ के आटे में गुड व ५ ग्राम बला चूर्ण डाल के बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाति है | दर्द में भी आराम होता है |
सर्दियों में हरी अथवा सुखी मेथी का सेवन करने से शरीर के ८० प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।
सब प्रकार के उदर-रोगों में मठ्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है | (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं |)
*पंo वेदान्त अवस्थी*