*आज का पञ्चाङ्ग*
*दिनांक – 17 अक्टूबर 2024*
*दिन – गुरूवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
*शक संवत – 1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद ॠतु*
*मास – अश्विन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – पूर्णिमा शाम 04:35 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र – रेवती शाम 04:20 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*योग – हर्षण 18 अक्टूबर रात्रि 01:42 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहुकाल – दोपहर 01:20 से शाम 02:46 तक*
*सूर्योदय – 06:17*
*सूर्यास्त – 05:43*
_स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
*व्रत पर्व विवरण – आश्विनी पूर्णिमा, कार्तिक व्रत-स्नानआरम्भ, तुला संक्रांति*
(पुण्यकाल :सूर्योदय से दोपहर 11:44 तक), पंचक(समाप्त : शाम 04:20)
विशेष – पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
*लक्ष्मी किसको सताती है, किसको सुख देती है*
जहाँ शराब-कबाब का सेवन, दुर्व्यसन, कलह होता है वहाँ की लक्ष्मी ‘वित्त’ बनकर सताती है, दुःख और चिंता उत्पन्न करती है। जहाँ लक्ष्मी का धर्मयुक्त उपयोग होता है वहाँ वह महालक्ष्मी होकर नारायण के सुख से सराबोर करती हैं।
*कार्तिक मास*
*17 अक्टूबर, गुरुवार से कार्तिक व्रत-स्नान प्रारंभ*
विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार 02 नवम्बर, शनिवार से कार्तिक मास प्रारंभ।
*कार्तिक मास में वर्जित*
ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए। जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें।
*कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी*
प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है। सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है। भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है।
भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए। ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महीनों तक भी नहीं किया जा सकता।
श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है | ‘ॐ नमो नारायणाय ‘| इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है | कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए
प्रात: उठकर करदर्शन करें | ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है।
*सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें*
जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है। पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं।
हम छोटे थे तब की बात है। हमारी माँ कार्तिक मास में सुबह स्नान करती, बहनें भी करतीं, फिर आस – पडोस की माताओं – बहनों के साथ मिल के भजन गातीं | सूर्योदय से पहले स्नान करने से पुण्यदायी ऊर्जा बनती है, पापनाशिनी मति आती है | कार्तिक मास का आप लोग भी फायदा उठाना
३ दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति
कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को ‘ॐकार’ का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महीने भर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है।
*पंचक*
09 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को रात्रि 11:28 बजे से 13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार को रात्रि 03: 11बजे तक।
*एकादशी*
28 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार रम्भा एकादशी।
12 नवम्बर 2024 दिन मंगलवार हरि प्रबोधिनी (देव उठनी) एकादशी।
*प्रदोष*
29 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।
30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार (मासिक शिव रात्रि) नरक चतुर्दशी।
*पूर्णिमा*
15 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार स्नान दान, व्रत पूर्णीमा, गुरुनानक जयंती, कार्तिक स्नान पूर्ण।
*अमावस्या*
31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को दीप उत्सव अमावस्या।
01 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार को स्नान दान अमावस्या।
02 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को गोवर्धन पूजा।
03 नवम्बर 2024 दिन रविवार भैया दूज
*पंo वेदान्त अवस्थी*