आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 17 जनवरी 2025*
*दिन – शुक्रवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर ॠतु*
*मास – माघ (गुजरात-महाराष्ट्र पौष)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – चतुर्थी 18 जनवरी प्रातः 05:30 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र – मघा दोपहर 12:45 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग – सौभाग्य रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहुकाल – सुबह 11:26 से दोपहर 12:49 तक*
*सूर्योदय –06:43*
*सूर्यास्त – 05:17*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*अग्निवास*
19+06+01=26÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
19+19+5=43÷7 =01 कैलाश वासे।
व्रत पर्व विवरण – सकट चौथ, संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:19)
विशेष- चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए*
*17 जनवरी 2025 शुक्रवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:19)*
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
*ॐ गं गणपते नमः ।*
*ॐ सोमाय नमः ।*
*चतुर्थी तिथि विशेष*
चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।
*हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।*
पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
*शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥*
“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
*कोई कष्ट हो तो*
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम:* : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
*ॐ दुर्मुखाय नम:* : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
*ॐ मोदाय नम:* : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
*ॐ प्रमोदाय नम:* : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
*ॐ अविघ्नाय नम:*
*ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
*पंचक*
30 जनवरी 2025 गुरुवार साय 06:35 बजे से 03 फरवरी 2025 दिन सोमवार रात्रि 11: 17बजे तक।
*एकादशी*
25 जनवरी 2025 दिन शनिवार षट्तिला एकादशी।
08 फरवरी 2025 दिन शनिवार जया एकादशी ।
*प्रदोष*
27 जनवरी 2025 दिन सोमवार प्रदोष व्रत। (मासिक शिव रात्रि)।
10 फरवरी 2025 दिन सोमवार प्रदोष व्रत।
*अमावस्या*
29 जनवरी 2025 दिन बुधवार देव पितृकार्य माघी मौनी अमावस्या।
*पूर्णिमा*
12 फरवरी 2025 दिन बुधवार स्नान दान व्रत पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*