*~ आज का पञ्चाङ्ग ~*
*दिनांक – 11 नवम्बर 2024*
*दिन – सोमवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – शरद ॠतु*
*मास – कार्तिक*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – दशमी शाम 06:46 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र – शतभिषा सुबह 09:40 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद*
*योग – व्याघात रात्रि 10:36 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहुकाल – सुबह 08:11 से सुबह 09:35 तक*
*सूर्योदय – 06:34*
*सूर्यास्त – 05:26*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*
*अग्निवास*
10+02+01=13÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
10+10+5=25÷7 =04 सभायाम वासे।
*व्रत पर्व विवरण – भीष्मपंचक व्रत प्रारंभ,पंचक*
*देवउठी एकादशी के दिन*
11 नवम्बर 2024 सोमवार को शाम 06:46 से 12 नवम्बर 2024 मंगलवार को शाम 04:04 तक एकादशी है।
विशेष – 12 नवम्बर, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
*देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए*
*उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l*
*उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l*
*भीष्मपञ्चक व्रत*
*अग्निपुराण अध्याय – २०५*
अग्निदेव कहते है – अब मैं सब कुछ देनेवाले व्रतराज ‘भीष्मपञ्चक’ विषय में कहता हूँ | कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत ग्रहण करें | पाँच दिनों तक तीनों समय स्नान करके पाँच तिल और यवों के द्वारा देवता तथा पितरों का तर्पण करे | फिर मौन रहकर भगवान् श्रीहरि का पूजन करे | देवाधिदेव श्रीविष्णु को पंचगव्य और पंचामृत से स्नान करावे और उनके श्री अंगों में चंदन आदि सुंगधित द्रव्यों का आलेपन करके उनके सम्मुख घृतयुक्त गुग्गुल जलावे ||१-३||
प्रात:काल और रात्रि के समय भगवान् श्रीविष्णु को दीपदान करे और उत्तम भोज्य-पदार्थ का नैवेद्ध समर्पित करे | व्रती पुरुष *‘ॐ नमो भगवतेवासुदेवाय’* इस द्वादशाक्षर मन्त्र का एक सौ आठ बार (१०८) जप करे | तदनंतर घृतसिक्त तिल और जौ का अंत में ‘स्वाहा’ से संयुक्त *‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’*– इस द्वादशाक्षर मन्त्र से हवन करे | पहले दिन भगवान् के चरणों का कमल के पुष्पों से, दुसरे दिन घुटनों और सक्थिभाग (दोनों ऊराओं) का बिल्वपत्रों से, तीसरे दिन नाभिका भृंगराज से, चौथे दिन बाणपुष्प, बिल्बपत्र और जपापुष्पों द्वारा एवं पाँचवे दिन मालती पुष्पों से सर्वांग का पूजन करे | व्रत करनेवाले को भूमि पर शयन करना चाहिये |
एकादशी को गोमय, द्वादशी को गोमूत्र, त्रयोदशी को दधि, चतुर्दशी को दुग्ध और अंतिम दिन पंचगव्य आहार करे | पौर्णमासी को ‘नक्तव्रत’ करना चाहिये | इस प्रकार व्रत करनेवाला भोग और मोक्ष – दोनों का प्राप्त कर लेता है |
भीष्म पितामह इसी व्रत का अनुष्ठान करके भगवान् श्रीहरि को प्राप्त हुए थे, इसीसे यह ‘भीष्मपञ्चक’ के नाम से प्रसिद्ध है |
ब्रह्माजी ने भी इस व्रत का अनुष्ठान करके श्रीहरि का पूजन किया था | इसलिये यह व्रत पाँच उपवास आदि से युक्त हैं ||४-९||
इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘भीष्मपञ्चक-व्रत का कथन’ नामक दो सौ पाँचवाँ अध्याय पूरा हुआ ||२०५||
विशेष ~ 11 नवम्बर 2024 सोमवार से 15 नवम्बर, शुक्रवार तक भीष्म पंचक व्रत है ।
*पंचक*
09 नवम्बर 2024 दिन शनिवार को रात्रि 11:28 बजे से 13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार को रात्रि 03: 11बजे तक।
*एकादशी*
12 नवम्बर 2024 दिन मंगलवार हरि प्रबोधिनी (देव उठनी) एकादशी।
*प्रदोष*
13 नवम्बर 2024 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
15 नवम्बर 2024 दिन शुक्रवार स्नान दान, व्रत पूर्णीमा, गुरुनानक जयंती, कार्तिक स्नान पूर्ण।
*पंo वेदान्त अवस्थी*