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आज का पंचांग 1 अक्टूबर 2024

By Janhit TV

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आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक – 01 अक्टूबर 2024*
दिन – मंगलवार*
संवत्सर –काल युक्त*
शक संवत –1946*
विक्रम संवत् – 2081*
कलि युगाब्द –5126*
अयन – दक्षिणायन*
ऋतु – शरद*
मास – आश्विन*
पक्ष – कृष्ण*
तिथि – चतुर्दशी रात्रि 09:39 तक तत्पश्चात अमावस्या*
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी प्रातः 09:16 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
योग – शुक्ल रात्रि 02:18 अक्टूबर 02 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
राहु काल – दोपहर 03:28 से शाम 04:57 तक*
सूर्योदय – 06:05*
सूर्यास्त – 05:55*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*अग्निवास*
29+03+01=33÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
29+29+5=63÷7 =00 श्मशान वासे।
व्रत पर्व विवरण – चतुर्दशी श्राद्ध*
विशेष – चतुर्दशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*सर्व पितृ अमावस्या*
श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार 02 अक्टूबर, बुधवार को यह अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर कुछ विशेष उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी कम होता है। इसलिए इस दिन भी ये उपाय किए जा सकते हैं।
पीपल में पितरों का वास माना गया है। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन के लिए घर बुलाएं या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़ आदि का दान करें।
इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृगण प्रसन्न होते हैं।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।
इस अमावस्या पर चावल के आटे से 5 पिडं बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें।
अमावस्या पर गाय के गोबर से बने कंड़े को जलाकर उस पर घी-गुड़ की धूप दें और पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु बोलें ।
इस अमावस्या पर कच्चा दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा ।
गुणों की खानः तुलसी*
तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की शुद्ध और पवित्र रहती है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है । तुलसी की गंधयुक्त वायु से मलेरिया के कीटाणुओं का नाश होता है । तुलसी में एक विशिष्ट क्षार होता है जो दुर्गन्ध को दूर करता है । जिसके मुँह से दुर्गन्ध आती है वो रोज तुलसी के पत्ते खाये तो मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है ।

*पंचक*
13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को साय 03:44 बजे से 17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार साय 04:20 बजे तक।
*नवरात्रि*
03 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार प्रतिपदा नवरात्रि मूहर्त प्रातः 06:35 से 08:03 शुभ वेला। दिवा 12:03 से 12: 50अभिजित वेला पूजन एवम घट स्थापना करना शुभ रहेगा।
11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार दुर्गाष्टमी महानवमी व्रत।
12 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार सरस्वती विसर्जन, नीलकंठ दर्शन,व्रत पारण कन्याभोज इत्यादि।
*एकादशी*
13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार पापंकुशा एकादशी स्मार्त व्रत (गृहस्थ)।
14 अक्टूबर 2024 दिन सोमवार पापंकुशा एकादशी व्रत वैष्णव।
*प्रदोष*
15 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
*अमावस्या*
02 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार पितृ विसर्जन अमावस्या।
*पूर्णिमा*
16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार व्रत पूर्णिमा।
17 अक्टूबर 2024 दिन गुरूवार स्नान दान पूर्णिमा कार्तिक स्नान प्रारम्भ।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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