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आज का पंचांग 8 जुलाई 2025

By Janhit TV

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*आज का पञ्चाङ्ग*~
*दिनांक – 08 जुलाई 2025*
*दिन – मंगलवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
*शक संवत -1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
*मास – आषाढ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – त्रयोदशी रात्रि 12:38 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र – ज्येष्ठा 09 जुलाई रात्रि 03:15 तक तत्पश्चात मूल*
*योग – शुक्ल रात्रि 10:17 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*राहुकाल – शाम 04:04 से शाम 05:44 तक*
*सूर्योदय – 06:04*
*सूर्यास्त – 07:23*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
*अग्निवास*
13+03+01=17÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
13+13+5=31÷7 =03 वृषारूढ़ा वासे।
*व्रत पर्व विवरण – भौमप्रदोष व्रत,जया पार्वती व्रत प्रारंभ (गुजरात)*
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

*कैसे करें सुबह की शुरुआत गुरुपूनम के दिन*
*10 जुलाई 2025 गुरुवार को गुरुपूनम (गुरुपूर्णिमा) है ।*
इस दिन सुबह बिस्तर पर तुम प्रार्थना करना : ‘‘हे महान पूर्णिमा ! हे गुरुपूर्णिमा ! अब हम अपनी आवश्यकता की ओर चलेंगे । इस देह की सम्पूर्ण आवश्यकताएँ कभी किसी की पूरी नहीं हुई ।
संतुष्टि नहीं मिली । अपनी असली आवश्यकता की तरफ हम आज से कदम रख रहे हैं ।
उसी समय ध्यान करना । शरीर बिस्तर छोड़े उसके पहले अपने प्रियतम को मिलना । गुरुदेव का मानसिक पूजन करना । वे तुम्हारे मन की दशा देखकर भीतर-ही-भीतर संतुष्ट होकर अपनी अनुभूति की झलक से तुम्हें आलोकित कर देंगे। उनके पास उधार नहीं है, वे तो नगदधर्मा हैं ।

*इसलिए जरूरी है जीवन में गुरु का होना*
हिंदू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा गुरु भक्ति को समर्पित गुरु पूर्णिमा का पवित्र दिन भी है। भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। वास्तव में यह दिन गुरु के रूप में ज्ञान की पूजा का है। गुरु का जीवन में उतना ही महत्व है, जितना माता-पिता का।
माता-पिता के कारण इस संसार में हमारा अस्तित्व होता है। किंतु जन्म के बाद एक सद्गुरु ही व्यक्ति को ज्ञान और अनुशासन का ऐसा महत्व सिखाता है, जिससे व्यक्ति अपने सतकर्मों और सद्विचारों से जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है। यह अमरत्व गुरु ही दे सकता है। सद्गुरु ने ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया, इसलिए गुरु पूर्णिमा को अनुशासन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
इस प्रकार व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास गुरु ही करता है। जिससे जीवन की कठिन राह को आसान हो जाती है। सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है। जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है इसलिए जीवन में गुरु का होना जरूरी है।
08 जुलाई 2025 मंगलवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
10 जुलाई 2025 दिन गुरुवार व्रत, स्नान दान पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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