*~ आजकापञ्चाङ्ग~*
*दिनांक – 06 फरवरी 2025*
*दिन – गुरूवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत -1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर ॠतु*
*मास – माघ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – नवमी रात्रि 10:53 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र – कृत्तिका शाम 07:29 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग – ब्रह्म शाम 06:42 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहुकाल – दोपहर 02:18 से शाम 03:42 तक*
*सूर्योदय 06:30*
*सूर्यास्त – 05:30*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
*अग्निवास*
09+05+01=15÷4=03 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
09+09+5=23÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
व्रत पर्व विवरण –
विशेष- नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*बरकत लाने की सरल कुंजियाँ*
बाजार भाव अचानक बढ़ने-घटने से, मंदी की वजह से या अन्य कारणों से कईयों का धंधा बढ़ नहीं पाता | ऐसे में आपके काम-धंधे में भी बरकत का खयाल रखते हुए कुछ सरल उपाय प्रस्तुत कर रही है |
1] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने व पूजा- स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है |
2] दुकान में बिक्री कम होती हो तो कनेर का फूल घिस के उसका ललाट पर तिलक करके दुकान पर जायें तो ग्राहकी बढ़ेगी |
3] रोज भोजन से पूर्व गोग्रास निकालकर गाय को खिलाने से सुख-समृद्धि व मान-सम्मान की वृद्धि होती है |
4] ईमानदारी से व्यवहार करें | ईमानदारी से उपार्जित किया हुआ धन स्थायी रहता है |
*आधी रात को नींद खुल जाती है तो*
कभी नींद १२ से २ के बीच खुल जाती है तो पित्त की प्रधानता है | उस समय मिश्री मिश्रित ठंडा पानी…. न हो थोडा गुनगुना पानी पी ले… पित्त का शमन होगा ….नींद अच्छी आयेगी |
लेकिन २ से ६ बजे तक अनिद्रा और दुःख होता तो वायु है | तो मिश्री और जीरा ….कूट के रख दे ,सेक के | जीरा और मिश्री मिलाके पीना चाहिये | लेकिन ठंडा पिने से जठराग्नि मंद होगी | रात को पानी नहीं पीना चाहिये, थोडा गुनगुना पानी पी ले
*शरीर पुष्ट, दाँत मजबूत*
शिशिर ऋतु में प्रतिदिन २-३ चम्मच काले तिल पानी के साथ सेवन करने से शरीर बहुत पुष्ट होता है व दाँत दृढ़ रहते हैं। इसके बाद २-३ घंटे तक कुछ न लें । (सूर्यास्त के बाद तिल का सेवन वर्जित है ।)
*एकादशी*
08 फरवरी 2025 दिन शनिवार जया एकादशी ।
*प्रदोष*
10 फरवरी 2025 दिन सोमवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
12 फरवरी 2025 दिन बुधवार स्नान दान व्रत पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*