आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 5 मार्च 2025*
*दिन – बुधवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत् – 2081*
*शक संवत – 1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – बसन्त*
*मास – फाल्गुन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – षष्ठी दोपहर 12:51 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र – कृतिका रात्रि 01:08 मार्च 06 तक, तत्पश्चात रोहिणी*
*योग- वैधृति रात्रि 11:07 तक तत्पश्चात विषकम्भ*
*राहु काल – दोपहर 12:51 से दोपहर 02:20 तक*
*सूर्योदय – 06:12*
*सूर्यास्त – 05:48*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*अग्निवास*
06+04+01=11÷4=03 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
06+06+5=17÷7 =03 वृषारूढ़ा वासे।
*व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
विशेष – षष्ठी को नीम का पत्ती फल या दातुन मुख में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है व सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
गृहस्थ ब्रह्मचर्य
श्री मनु महाराज ने गृहस्थाश्रम में ब्रह्मचर्य की व्याख्या इस प्रकार की हैः
अपनी धर्मपत्नी के साथ केवल ऋतुकाल में समागम करना, इसे गार्हस्थ्य ब्रह्मचर्य कहते हैं ।
रजोदर्शन के प्रथम दिन से सोलहवें दिन तक ऋतुकाल माना जाता है । इसमें मासिक धर्म की चार रात्रियाँ तथा ग्यारहवीं व तेरहवीं रात्रि निषिद्ध है । शेष दस रात्रियों से दो सुयोग्य रात्रियों में स्वस्त्री-गमन करने वाला व्यक्ति गृहस्थ ब्रह्मचारी है ।
इस प्रकार आहार, निद्रा व ब्रह्मचर्य का युक्तिपूर्वक सेवन व्यक्ति को स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है ।
*एकादशी*
10 मार्च 2025 दिन सोमवार आमलीक एकादशी ।
*प्रदोष*
11 मार्च 2025 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
*अमावस्या*
27 फरवरी 2025 दिन गुरुवार देव पितृकार्य अमावस्या।
*पूर्णिमा*
14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार स्नान दान व्रत पूर्णिमा।