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आज का पंचांग 29 मार्च 2025

By Janhit TV

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*आज का पञ्चाङ्ग*
*दिनांक – 29 मार्च 2025*
*दिन – शनिवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत – 2081*
*शक संवत – 1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*मास – चैत्र (गुजरात-महाराष्ट्र फाल्गुन)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – अमावस्या शाम 04:27 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद शाम 07:26 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग – ब्रह्म रात्रि 10:04 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहुकाल – सुबह 09:08 से सुबह 10:41 तक*
*सूर्योदय – 05:55*
*सूर्यास्त – 06:05*
_स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*
*अग्निवास*
30+07+01=37÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
30+30+5=65÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
व्रत पर्व विवरण- दर्श अमावस्या, चैत्री अमावस्या, पंचक, खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत मे नही दिखेगा, नियम पालनीय नही है)
विशेष- अमावस्या एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
*वर्ष में ४ नवरात्रियाँ होती हैं*
साल में ४ नवरात्रियाँ होती हैं, जिनमे से २ नवरात्रियाँ गुप्त होती हैं –
*माघ शुक्ल पक्ष की प्रथम ९ तिथियाँ*
चैत्र मास की रामनवमी के समय आती हैं वो ९ तिथियाँ इस साल 30 मार्च 2025 रविवार से शुरू होगी।
*आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष के ९ दिन*
*अश्विन महिने की दशहरे के पहले आनेवाली ९ तिथियाँ*
‘ नवरात्रियों में उपवास करते, हैं तो एक मंत्र जप करें ……..ये मंत्र वेद व्यास जी भगवान ने कहा है ….इससे श्रेष्ट अर्थ की प्राप्ति हो जाती है……दरिद्रता दूर हो जाती है । *”ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमल वसिन्ये स्वाहा”*

*विद्यार्थी के लिए*
नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
*चैत्र नवरात्रि*
चैत्र मास के नवरात्र का आरंभ 30 मार्च, रविवार से हो रहा है। नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं-
प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का भोग लगाएं ।इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।
*चैत्र नवरात्रि*
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 30 मार्च, रविवार से हो रहा है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती हैं । जानिए नवरात्रि में किस दिन देवी के कौन से स्वरूप की पूजा करें-
*हिमालय की पुत्री हैं मां शैलपुत्री*
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।
हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। इसलिए इस दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। शैलपुत्री की आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी हैं । स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।
*चैत्र नवरात्रि*
30/03/2025 दिन रविवार को प्रतिपदा
सुबह 08:07 बजे से 09:39 बजे तक चंचल वेला।
09:39 बजे से 12:43 बजे तक अमृत वेला।
12:18 बजे से 01:07 बजे तक अभिजित वेला में पूजन एवं घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा।
05 अप्रैल 2025 अष्टमी।
06 अप्रैल 2025 राम नवमी, महानवमी व्रत। नवरात्रि से संबंधित हवन पूजन 11:13 बजे तक किया जायेगा।
पूर्ण नवरात्रि व्रत पारण 07 अप्रैल 2025 दिन सोमवार को सुबह 07 बजे पारण करे।
*पंचक*
26 मार्च 2025 दिन बुधवार को साय 03:15 बजे से 30 मार्च 2025 दिन रविवार को साय 04:35 बजे तक।
*एकादशी*
08 अप्रैल 2025 दिन मंगलवार कामदा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
10 अप्रैल 2025 दिन गुरुवार प्रदोष व्रत।
*अमावस्या*
29 मार्च 2025 दिन शनिवार देव पितृकार्य अमावस्या।
*पूर्णिमा*
12 अप्रैल 2025 दिन शनिवार स्नान दान व्रत वैशाखी पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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