आज का पञ्चाङ्ग~
*दिनांक – 22 मई 2025*
*दिन – गुरूवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसारच 2081)*
*शक संवत -1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
*मास – ज्येष्ठ (गुजरात-महाराष्ट्र वैशाख)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – दशमी 23 मई रात्रि 01:12 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र – पूर्वभाद्रपद शाम 05:47 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद*
*योग -विष्कंभ रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहुकाल – दोपहर 02:15 से शाम 03:54 तक*
*सूर्योदय – 05:20*
*सूर्यास्त – 06:40*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
*अग्निवास*
26+05+01=32÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
26+26+5=57÷7 =01 कैलाश वासे।
*व्रत पर्व विवरण- पंचक*
विशेष-
*एकादशी व्रत के लाभ*
22 मई 2025 गुरूवार को रात्रि 01:12 यानि (23 मई 01:12 AM) से 23 मई, शुक्रवार को रात्रि 10:29 तक एकादशी है।
विशेष – 23 मई, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण- दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख- शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
*एकादशी के दिन करने योग्य*
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें 👉🏻 …. विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
*एकादशी के दिन ये सावधानी रहे*
महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा
*पंचक*
20 मई 2025 सुबह 07:36 बजे से 24 मई 2025 दोपहर 01:48 बजे तक।
*एकादशी*
23 मई 2025 अपरा एकादशी व्रत गृहस्थ।
06 जून 2025 निर्जला एकादशी व्रत गृहस्थ।
07 जून 2025 निर्जला एकादशी व्रत निम्बा (वैष्णव)।
*प्रदोष व्रत*
24 मई 2025 शनिवार प्रदोष व्रत।
25 मई 2025 दिन रविवार मासिक शिव रात्रि।
08 जून 2025 रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
10 जून 2025 दिन मंगलवार व्रत पूर्णिमा ।
11 जून 2025 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
*अमावस्या*
26 मई 2025 दिन सोमवार वट सावित्री व्रत (बरगदाई)।
सोमवती अमावस्या मान्य नहीं होगी भौमवती मान्य होगी।
27 मई 2025 दिन मंगलवार स्नान दान, श्राद्ध अमावस्या।
*पंo वेदान्त अवस्थी*