आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 14 फरवरी 2025*
*दिन – शुक्रवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत् – 2081*
*शक संवत – 1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर*
*मास – फाल्गुन*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – द्वितीया रात्रि 09:52 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 11:09 तक, तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग – अतिगण्ड प्रातः 07:20 तक, तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल – सुबह 11:29 से दोपहर 12:54 तक*
*सूर्योदय – 06:26*
*सूर्यास्त – 05:34*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*अग्निवास*
17+06+01=24÷4=0 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
17+17+5=39÷7 =04 सभायाम वासे।
*व्रत पर्व विवरण – मातृ-पितृ पूजन दिवस*
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*मातृ-पितृ पूजन दिवस की आवश्यकता व उद्देश्य*
१४ फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ महापर्व है । इस लोक-मांगल्यकारी, विश्वव्यापी, सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाये जानेवाले पर्व के प्रणेता व मार्गदर्शक हैं । इस पर्व को सर्जित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी तथा इसको मनाने से क्या हानि लाभ क्या होते हैं यह जानते है :
प्रेमी-प्रेमिका ‘आई लव यू, आई लव यू…’ करके काम-विकार में गिरते हैं, थोड़ी देर के बाद अभागे ठुस्स हो जाते हैं । मैंने इससे लाखों- लाखों बच्चों की जिंदगी तबाह होते हुए सुनी है ।
२८ विकसित देशों में ‘आई लव यू व वेलेंटाइन डे’ के चक्कर में हर वर्ष १३ से १९ साल की १२ लाख ५० हजार कन्याएँ स्कूल जाते-जाते गर्भवती हो जाती हैं । जिनमें से ५ लाख कन्याएँ तो चुपचाप गर्भपात करा लेती हैं और जो नहीं करा पाती हैं ऐसी ७ लाख ५० हजार कन्याएँ कुँवारी माँ बनकर नर्सिंग होम, सरकार व माँ बाप के लिए बोझा बन जाती हैं अथवा वेश्यावृत्ति धारण कर लेती हैं ।
अमेरिका और अन्य विकसित देशों के करोड़ों रुपये वेलेंटाइन डे में तबाह हुए ऐसे छोरे-छोरियों की जिंदगी बचाने में खर्च होते हैं । ऐसा काहे को करना !
लेकिन विदेशियों ने फैशन चला दिया: ‘आई लव यू, आई लव यू…’ बड़ी बेशर्माई है । बच्चे माँ-बाप को पूछें ही नहीं, लोफर-लोफरियाँ बन जायें । वे खुद बरबाद हो जायें तो माँ-बाप की क्या सेवा करेंगे ?
*इसमें सबका भला है*
कुछ मनुष्य तो अक्लवाले होते हैं और कुछ अक्ल खो के प्रेमिकाओं के पीछे, प्रेमियों के दिवस : १४ फरवरी पीछे तबाह होते हैं, उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है ।
सुंदरी सुंदरे जितने कामी होते हैं उतनी ही उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है । ऐसे कामी सँभल जायें तो अच्छा है, नहीं तो फिर ऐसे लोग मरने के बाद पतंगे होते हैं । पतंगे दीये में जलते हैं। एक जल रहा है यह दूसरों को दिख रहा है फिर भी दे धड़ाधड़… और जल मरते हैं ।
वेलेंटाइन डे’ वाले तो अपनी ईसाइयत का प्रचार करते हैं परंतु लोगों की जिंदगी तबाह होती है । फिर मैं भगवान का ध्यान करके भगवान में डूब गया, एकाकार हो गया और उपाय खोजा । उपाय मिल गया – गणपति और कार्तिकेय स्वामी की चर्चा का प्रसंग । उसे मैंने अच्छी तरह समझ लिया । सत्संग में बोले गए शब्द कि ‘माँ की प्रदक्षिणा करने से सारे तीर्थों का फल होता है और पिता का आदर व प्रदक्षिणा करने से सब देवों की पूजा का फल मिलता है
*सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता ।*
इसका प्रचार करेंगे तो बच्चे-बच्चियों का, माँ-बाप का सबका भला हो जायेगा ।’ मैं भी आशाओं का राम हूँ, आशाओं का गुलाम नहीं हूँ । मैं जब चाहूँ मेरा प्यारा मेरे लिए ज्ञान के दरवाजे खोल देता है ।
फिर मैंने यह भी बता दिया कि ‘हम ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, सिख तथा और भी जो जाति-धर्म-पंथ हैं सभीका भला चाहते हैं । हम किसीका बुरा नहीं चाहते हैं । बच्चे-बच्चियाँ तबाह न हों इसलिए १४ फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस चालू किया है।’ अब तो यह विश्वव्यापी हो गया है ।
*पंo वेदान्त अवस्थी*