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आज का पंचांग 13 may 2025

By Janhit TV

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आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 13 मई 2025*
*दिन – मंगलवार*
*संवत्सर– सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत् – 2082*
*शक संवत – 1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत*
*मास – ज्येष्ठ*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – प्रतिपदा रात्रि 12:35 मई 14 तक तत्पश्चात् द्वितीया*
*नक्षत्र – विशाखा सुबह 09:09 तक तत्पश्चात् अनुराधा*
*योग – परिघ पूर्ण रात्रि तक*
*राहुकाल – दोपहर 03:54 से शाम 05:34 तक*
*सूर्योदय – 05:24*
*सूर्यास्त – 06:36*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*अग्निवास*
16+03+01=20÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
16+16+5=37÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
*व्रत पर्व विवरण – नारदजी जयंती*
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाएं, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
*गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार*
नारियल पानी :-  नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतु की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी है ।
लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है ।
प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । )
मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है ।
खीरा : –  खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं ।
अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं ।
अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है ।
नींबू और खीरे 🥒 का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है ।

तरबूज :- ग्रीष्म ऋतुमें प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है ।
तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है ।
गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है ।
तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा  जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है ।
धनिया : – धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है ।
१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में  १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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