*~ आज का पञ्चाङ्ग~*
*दिनांक – 13 जुलाई 2025*
*दिन – रविवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत– 2082*
*शक संवत -1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
*मास – श्रावण*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – तृतीया 14 जुलाई रात्रि 01:02 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र – श्रवण सुबह 06:53 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग – प्रीति शाम 06:01 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहुकाल – शाम 05:44 से शाम 07:24 तक*
*सूर्योदय – 05:16*
*सूर्यास्त – 06:44*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*अग्निवास*
18+01+01=20÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
18+18+5=41÷7 =06 क्रीड़ा याम वासे।
*व्रत पर्व विवरण – पंचक (आरंभ: शाम 06:53),जया पार्वती व्रत पारणा(गुजरात)*
विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
*विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए*
14 जुलाई 2025 सोमवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:56)
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
*ॐ गं गणपते नमः ।*
*ॐ सोमाय नमः ।*
*चतुर्थी तिथि विशेष*
चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।
हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। *शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥*
“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
*कोई कष्ट हो तो*
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम:* : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे । *ॐ दुर्मुखाय नम:* : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
*ॐ मोदाय नम:* : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
*ॐ प्रमोदाय नम:* : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
*ॐ अविघ्नाय नम:*
*ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
*पंचक*
13 जुलाई 2025 दिन दिन रविवार साय 06:53 भेजे से 17 जुलाई 2025 दिन गुरुवार रात्रि 03:39 बजे तक।
09 अगस्त 2025 दिन शनिवार रात्रि 02:11 बजे से 14 अगस्त 2025 दिन सुबह 09:06 बजे तक।
*पंचमी*
29 जुलाई 2025 दिन मंगलवार नाग पंचमी।
*एकादशी*
21 जुलाई 2025 दिन सोमवार कामदा एकादशी व्रत सर्वे।
05 अगस्त 2025 दिन मंगलवार पुत्रदा एकादशी व्रत सर्वे ।
*प्रदोष व्रत*
22जुलाई 2025 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
मासिक शिव रात्रि 23 जुलाई दिन बुधवार।
06 अगस्त 2025 दिन बुधवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
08 अगस्त2025 दिन शुक्रवार वृत पूर्णिमा।
09 अगस्त 2025 दिन शनिवार श्रावणी उपाकर्म (रक्षा बन्धन) स्नान दान पूर्णिमा।
*अमावस्या*
24 जुलाई 2025 दिन गुरुवार स्नान दान देवपितृ कार्य हरियाली अमावस्या।
*पंo वेदान्त अवस्थी*
*रसूलाबाद कानपुर देहात*