आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 11 अप्रैल 2025*
*दिन – शुक्रवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत – 2082*
*शक संवत -1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – चतुर्दशी 12 अप्रैल रात्रि 03:21 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी शाम 03:10 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग – ध्रुव शाम 07:46 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहुकाल – सुबह 11:06 से दोपहर 12:40 तक*
*सूर्योदय – 05:45*
*सूर्यास्त – 06:15*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे*
*अग्निवास*
14+06+01=21÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
14+14+5=33÷7 =05 भोजन चैव वासे।
व्रत पर्व विवरण-
विशेष- चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
*हनुमान जन्मोत्सव*
चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 12 अप्रैल, शनिवार को है। हनुमानजी जन्मोत्सव के शुभ योग में यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है। ये उपाय इस प्रकार हैं-
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*नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।*
*लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥*
*इसक अर्थ भी समझ लीजिये ।*
*’
नाम पाहरू दिवस निसि ‘ ….. सीता जी के चारों तरफ आप के नाम का पहरा है । क्योंकि वे रात दिन आप के नाम का ही जप करती हैं । सदैव राम जी का ही ध्यान धरती हैं और जब भी आँखें खोलती हैं तो अपने चरणों में नज़र टिकाकर आप के चरण कमलों को ही याद करती रहती हैं ।
तो ‘ जाहिं प्रान केहिं बाट ‘….. सोचिये की आप के घर के चारों तरफ कड़ा पहरा है । छत और ज़मीन की तरफ से भी किसी के घुसने का मार्ग बंद कर दिया है, क्या कोई चोर अंदर घुस सकता है..? ऐसे ही सीता जी ने सभी ओर से श्री रामजी का रक्षा कवच धारण कर लिया है ..इस प्रकार वे अपने प्राणों की रक्षा करती हैं । तो ये मंत्र श्रद्धा के साथ जपेंगे तो आप भी किसी के प्राणों की रक्षा कर सकते हैं ।
*रक्षा कवच बनाने के लिए*
दिन में 3-4 बार शांति से बैठें , 2-3 मिनिट होठो में जप करे और फिर चुप हो गए। ऐसी धारणा करे की मेरे चारो तरफ भगवान का नाम मेरे चारो ओर घूम रहा हें। भगवान के नाम का घेरा मेरी रक्षा कर रहा है।
*पूर्णिमा*
12 अप्रैल 2025 दिन शनिवार स्नान दान व्रत वैशाखी पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त