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आज का पंचांग 1 मार्च 2025

By Janhit TV

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आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 1 मार्च 2025*
*दिन – शनिवार*
*संवत्सर – काल युक्त*
*विक्रम संवत् – 2081*
*शक संवत – 1946*
*कलि युगाब्द – 5126*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर*
*मास – फाल्गुन*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – द्वितीया रात्रि 12:09 मार्च 2 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद सुबह 11:22 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग –  साध्य शाम 4:25 तक तत्पश्चात शुभ*
राहु काल – सुबह 9:57 से सुबह 11:24 तक*
*सूर्योदय – 06:13*
*सूर्यास्त – 05:47*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*अग्निवास*
02+07+01=10÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
02+02+5=09÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
*व्रत पर्व विवरण – फुलैरा दूज, श्री रामकृष्ण परमहंस जयन्ती, त्रिपुष्कर योग ( सुबह 07:01 से सुबह 11:22 तक)*
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*प्रायश्चित जप*
पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं |
कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गल्ती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है |

*लक्ष्मी कहा विराजती है*
जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती है | (श्रीमद् देवी भागवत )

*मन चंचल हो तो*
जब भी संध्या करने बैठे सुबह या शाम को | तो २४ बार मन में राम नाम का उच्चारण करके फिर बैठे | खाली २४ बार, उँगलियों पर नहीं गिनना १,२,३ मन में ही जपना मन में ही गिनती करना | मन चंचल हो तो इससे मन शांत हो जाता है कई लोग बोलते हैं न हम जप करने बैठते हैं मन नहीं लगता | तो २४ बार करके बैठे | अपनी मन की आँखों के आगे अपने इष्ट अपने गुरु को रखें | कि मेरा मन जप में, ध्यान में, उपासना में लग जाये | तो बड़ा भारी लाभ होता है | तो ब्रह्म राम ते नाम बड़, वरदायक वरदानी | ये नाम जो है वरदान देने वालो को भी वर देने वाला है | ऐसी इस नाम में शक्ति है |

मन में शांति की लहरें प्रकट करनेवाली मुद्रा : शांत मुद्रा*
यह मुदा कोध को शांत करने में अत्यंत लाभदायी है, इसीलिए इसका नाम ‘शांत मुद्रा’ रखा गया है ।
लाभ : (१) जिसे बार-बार क्रोध आता हो या स्वभाव चिड़चिड़ा हो, उसके लिए यह मुद्रा वरदानस्वरूप है । इस मुद्रा से क्रोध तत्काल शांत हो जाता है ।
(२) क्रोध के स्पंदनों पर शांति के स्पंदनों का टकराव होने से शरीर का तान-तनाव कम हो जाता है ।
(३) मन भी आसानी से शांत हो जाता है । शांतिवर्धक लहरें तन-मन में संचारित होने लगती हैं ।
(४) इस मुद्रा को करने पर आप विशेष एकाग्रता का अनुभव करेंगे ।
विधि : (१) ध्यान के लिए अनुकूल पड़े ऐसे किसी भी आसन में बैठ जायें। आप यात्रा के समय भी किसी अनुकूल आसन में यह कर सकते हैं ।
उँगलियों के अग्रभागों को अँगूठे के अग्रभाग से चारों तरफ से मिलायें। अँगूठे व उँगलियों को थोड़ा- सा मोड़ें, जिससे उँगलियों के अग्रभाग अँगूठे के अग्रभाग से अच्छी तरह मिल जायें ।
अँगूठे के अग्रभाग पर एकाग्र हों और उँगलियों की सनसनी अनुभव करें ।
मुद्रा-विज्ञान : पाँचों उँगलियाँ मिलाने पर अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल ये पाँचों तत्त्व इकट्ठे हो जाते हैं । इससे प्राणशक्ति पुष्ट होती है ।
*पंचक*
27 फरवरी 2025 दिन गुरुवार प्रातः 04:37 बजे से 03 मार्च 2025 दिन सोमवार को प्रातः 06:39 बजे तक।
*एकादशी*
10 मार्च 2025 दिन सोमवार आमलीक एकादशी ।
*प्रदोष*
11 मार्च 2025 दिन मंगलवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
13 मार्च 2024 दिन गुरुवार वृत पूर्णिमा होलिका दहन।
14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार स्नान दान व्रत पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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