आज का पञ्चाङ्ग
*दिनांक – 01 जून 2025*
*दिन – रविवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत् – 2082*
*शक संवत – 1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म*
*मास – ज्येष्ठ*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – षष्ठी रात्रि 07:59 तक तत्पश्चात् सप्तमी*
*नक्षत्र – अश्लेषा रात्रि 09:36 तक तत्पश्चात् मघा*
*योग – ध्रुव रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात् व्याघात*
*राहुकाल – शाम 05:40 से शाम 07:21 तक*
*सूर्योदय – 05:16*
*सूर्यास्त – 06:46*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण – स्कन्द षष्ठी*
*अग्निवास
06+01+01=08÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
06+06+5=17÷7 =03 वृषारूढ़ा वासे।
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातून मुंह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
*अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन मिटाने का मंत्र*
अहंकार, चिंता और व्यर्थ का चिंतन साधक की शक्ति को निगल जाते हैं | इनको मिटाने के लिए एक सुंदर मंत्र योगी गोरखनाथजी ने बताया है | इसमें कोई विधि – विधान नहीं है | रात को सोते समय इस मंत्र का जप करो, संख्या का कोई आग्रह नहीं है | इस मंत्र से आपके चित्त की चिंता, तनाव, खिंचाव, दिक्कतें जल्दी शांत हो जायेगी और साधन – भजन में बरकत आयेगी | मंत्र उच्चारण में थोडा कठिन जैसा लगेगा लेकिन याद रह जाने पर आसान हो जायेगा | बाहर के रोग तो बाहर की औषधि से मिट सकते हैं लेकिन भीतर के रोग बाहर की औषधि से नहीं मिटेंगे और इस मंत्र से टिकेंगे नहीं |
हमारी जो जीवनधारा है, जीवनीशक्ति है, चित्तशक्ति है उसीको उद्देश्य करके यह मंत्र है ।
*ॐ चित्तात्मिकां महाचित्तिं चित्तस्वरूपिणीं आराध्यामि चित्तजान रोगान शमय शमय ठं ठं ठं स्वाहा ठं ठं ठं स्वाहा |*
‘हे चित्तात्मिका, महाचित्ति, चित्तस्वरूपिणी ! मैं तेरी आराधना करता हूँ | जगत – शक्तिदात्री भगवती ! मेरे चित्त के रोगों का तू शमन कर |’
‘ठं’ बीजमंत्र है, यह बड़ा प्रभाव करता है | किसीमें लोभ, किसीमें मोह, किसीमें शराब पीने का, किसीमें अहंकार का, किसीमें शेखी बधारने का दोष होता है | चित्त में दोष भरे है इसलिए तो चिंता, भय, क्रोध, अशांति है और जन्म – मरण होता है |
इसके जप से आद्यशक्ति चेतना चित्त के दोषों को दूर कर देती है, चित्त को निर्मल कर देती है | सीधे लेट गये, यह जप किया | जब तक निद्रा न आये तब तक इसका प्रयोग करें | निद्रा आने पर अपने – आप ही छूट जायेगा | रात को जप करके सोने से सुबह तुम स्वस्थ, निर्भय, प्रसन्न होकर उठोगे |
भगवान के मंत्र हों और भगवान को अपना मानकर प्रीतिपूर्वक जप करें तो चित्त भगवदाकार होकर भगवदरस से पावन हो जाता है | भगवदरस के बिना नीरसता नहीं जाती |
*एकादशी*
06 जून 2025 निर्जला एकादशी व्रत गृहस्थ।
07 जून 2025 निर्जला एकादशी व्रत निम्बा (वैष्णव)।
*प्रदोष व्रत*
08 जून 2025 रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
10 जून 2025 दिन मंगलवार व्रत पूर्णिमा ।
11 जून 2025 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त