Rewa news:लापरवाही पूर्ण डायविंग व नशाखोरी से हर दिन खून से लाल हो रहीं सड़कें भारत में हो रहे सर्वाधिक रोड एक्सीडेंट: डा बीएल मिश्रा
21वीं सदी में रोड एक्सीडेंट( सड़क दुर्घटना) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है। जो अन्य जानलेवा बीमारियों _ टीबी, एड्स, मलेरिया, शिशु_ मातृ मृत्यु को पीछे छोड़ने की स्थिति निर्मित हो रही हैं। विश्व के सभी देशों में (विकसित देशों में ज्यादा )बढ़ रहे 2_4 पहिया वाहन जो खस्ता हाल सड़कों से अति आधुनिक हाईवे में तेजी से दौड़ते हुए दुर्घटना को अंजाम देते हैं। इन घटनाओं में जन हानि, साधारण से गंभीर चोटें व वाहनों की क्षति जैसी स्थिति बनती हैं। वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा रोड एक्सीडेंट कम करने व मृत्यु कम करने हेतु समय-समय पर चिंतन किया जाता हैं। इसी उद्देश्य से दुनिया के सभी देशों द्वारा नवंबर माह में तृतीय रविवार को जागरूकता अभियान चलाया जाता हैं। इस समय की मांग है कि हम सब वर्ष के 365 दिवस, माह के 30 दिवस व सप्ताह के सात दिवस रोड एक्सीडेंट कम करने की दिशा में प्रयास होना चाहिए। अधिकांश घटनाओं में वाहनों के आमने-सामने से टक्कर होती है व 80% से अधिक प्रकरणों में मौत का कारण सिर की चोट हैं। वैश्विक स्तर पर इन घटनाओं की रोकथाम हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2024 हेतु दी गई थीम “सड़क सुरक्षा हीरो बनें” तात्पर्य यह है की सर्वाधिक प्रभावित होने वाले युवा इस आपदा की रोकथाम हेतु हीरो बनकर आगे आयें। यदि हम सड़क पर चलने के पूर्व मात्र एक नारा “कभी नहीं से देर भला” का अनुसरण करें तो लाखों मां की गोद सूनी होने, बहनों की कलाई, एक अच्छा भाई व मित्र, कुशल श्रमिक व अनाथ होते बच्चों का जीवन बचा सकते हैं।
: विश्व में रोड एक्सीडेंट से 12 लाख की मौत
वर्ष 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर 50% मृत्यु कम करने का लक्ष्य रखा है। इस हेतु सभी सदस्य देशों को उनकी आवश्यकता अनुसार कार्य योजना बनाने को कहा है। विश्व में अनुमानित 12 लाख मृत्यु प्रतिवर्ष होती है यानी 3200 प्रति दिवस व 72 प्रति मिनट। 5 वर्ष से 29 वर्ष तक के बच्चों/ युवा में मृत्यु का प्रमुख कारण दुर्घटना है। एक मृत्यु की स्थिति में 20 से 50 घायल होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन के अनुसार 90% मृत्यु निम्न/ मध्यम आय के देशों में होती हैं। जबकि इन देशों में विकसित देशों से तुलनात्मक रूप से एक प्रतिशत ही वाहन हैं। रोड एक्सीडेंट से कम मृत्यु वाले प्रमुख देश हैं – नार्वे, स्वीडन, आइसलैंड। हमारे पड़ोसी देश भूटान ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कोई भी ट्रैफिक सिग्नल नहीं बनाया हैं। जिन देशों में सुरक्षित सड़कों के कारण कम रोड एक्सीडेंट होते हैं वे हैं – माल्दीव, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, इजरायल, यूके व स्विट्जरलैंड आदि। वहीं दूसरी ओर खराब सड़कों की स्थिति चाड, मैरिटानिया, मेडागास्कर, यमन व हैती जैसे देशों में है। हमें आंशिक खुशी हो सकती है कि विश्व में 2010 की तुलना में 10% सड़क दुर्घटना से कमी हुई है।
: भारत में रोड एक्सीडेंट ज्यादा
यह एक दुखद पहलू है कि भारत में सड़क दुर्घटना के कारण दुनिया में सर्वाधिक मौत होती हैं। देश में सभी कारणों से अनुमानित एक करोड़ मौत होती है जिसमें तीन करोड़ सड़क दुर्घटना से( यानी तीन प्रतिशत) होती हैं। वैश्विक स्तर पर भारत का योगदान 11% होता है। देश में प्रतिवर्ष अनुमानित 1.5 लाख से अधिक मौत व 4.5 लाख घायल होते हैं यानी प्रतिदिन 462 ,प्रति घंटे 17 व प्रति मिनट 3। देश में रोड एक्सीडेंट से सर्वाधिक मौत तमिलनाडु (64 हजार से ज्यादा) व मध्य प्रदेश (54 हजार से अधिक) में विभिन्न कारणों से होती हैं। सर्वाधिक मौत शाम 6:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक होती है ।देश मे वर्ष 2010 मे 1,3 लाख, 2018 में 1,5 लाख व 2021 मे 1,53 लाख लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हुई है। वर्ष 2022 मे देश में 461312 दुर्घटनाए हुई जिनमें168491 लोगों की जान गई व 443366 लोगों को साधारण से गंभीर चोटें आईं। भारत में प्रतिवर्ष दुर्घटना ( 12%), मृत्यु( 9%) व विभिन्न स्तर की चोटें (15% )की वृद्धि भारत शासन ,राज्य सरकारें, जिला प्रशासन, समाजसेवी संगठन व जन प्रतिनिधियों को आगाह करती है कि इस मानव निर्मित आपदा को नियंत्रित किया जा सकता है।
है रोड एक्सीडेंट के कारण
यदि हम कहें कि मानव निर्मित रोड एक्सीडेंट “होती नहीं , की जाती है” तो अतिशयोक्ति न होगा। इस बड़ी स्वास्थ्य समस्या के घटित होने के प्रमुख कारणों में तेज गति से गाड़ी चलाना ,हेलमेट _सीट बेल्ट न लगाना, चालक द्वारा मोबाइल का उपयोग, नींद या नशे (शराब व दवा) में गाड़ी चलाना, ट्रैफिक नियमों का पालन न होना, खस्ताहाल सड़कें, वाहनों की खराब हालत, ब्रेक या स्टेरिंग का फेल होना, टायर का फटना, ओवरलोडिंग, अपर्याप्त हेडलाइट, खराब मौसम ( कोहरा, तूफान ,ओलावृष्टि) का होना प्रमुख है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन व जुर्माना – भारत शासन द्वारा सुरक्षित सड़क परिवहन हेतु मोटर व्हीकल एक्ट बनाया है जिसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के उल्लंघन करने पर अलग-अलग राशि के जुर्मानें और अथवा जेल का प्रावधान बनाया है जैसे बिना लाइसेंस के ड्राइविंग, नशीले पदार्थ का सेवन, ओवर लोडिंग ,हेलमेट _सीट बेल्ट का न लगाना ,बीमा न कराना, सड़क नियमों का उल्लंघन, मोबाइल प्रयोग, स्पीडिंग, एंबुलेंस को रास्ता न देना, किशोर अपराध, लाइसेंस का न होना, शांत क्षेत्र में हार्न बजाना आदि। हम सब का कर्तव्य है कि हर घर की सुख शांति हेतु इन नियमों का पालन करें।
बाक्स: रीवा में हुई 461 मौतें हमारा रीवा और सड़क दुर्घटना – प्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र के संभागीय मुख्यालय रीवा जिले में वर्ष 2022 व 23 में दुर्घटना क्रमशः 1548 व 1524, मृतकों की संख्या 461 व 432 तथा घायलों की संख्या 1426 व 1325 है। स्पष्ट है कि विगत वर्ष में दुर्घटना, मृतक व घायलों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कम है जिसे और कम करने हेतु विभिन्न स्तर पर प्रयास होना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती सड़क दुर्घटना को देखते हुए हर जिले में शासन द्वारा प्रत्येक जिला चिकित्सालय में ट्रामा यूनिट की स्थापना की गई है। रीवा जिले में सर्जन ,अस्थि रोग विशेषज्ञ व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। बेहतर प्रबंधन न होने के कारण मरीजों को इलाज हेतु जबलपुर व नागपुर जाना पड़ता है। जागरूकता की दृष्टि में पुलिस विभाग के अंतर्गत यातायात थाना के पुलिस कर्मचारी प्रमोद पांडे की सेवाएं यादगार रहेगी , जिन्होंने सैकड़ो विद्यालयों में छात्रों को मोटर व्हीकल एक्ट ,सीट बेल्ट लगाने व हेलमेट के उपयोग, शराब का सेवन न करने, नियंत्रित स्पीड के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया।
बाक्स: आंकड़ा कम करने यह होने चाहिए उपाय
जिले के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ एवं पूर्व क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य डाक्टर बीएल मिश्रा के अनुसार हमारा उद्देश्य हो “दीर्घायु हेतु धीमा चलायें ” । भारत शासन, राज्य सरकारें, जिला प्रशासन, विभिन्न एनजीओ व जनप्रतिनिधि सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में ट्रैफिक नियमों का पालन करने हेतु जन जागरूकता आंदोलन चलाया जाए। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ड्राइविंग लाइसेंस की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल हो, अभिभावक के द्वारा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को वाहन न चलाने दें। यात्रा के दौरान समय का ध्यान रखें व मोबाइल का उपयोग न करें। अति आवश्यक होने पर यात्रा करें। जिला अस्पताल में ट्रामा यूनिट को सशक्त बनाएं, ब्लड बैंक में विभिन्न रक्त समूह के रक्त की उपलब्धता हो। सड़क दुर्घटना की रोकथाम के क्षेत्र में कार्य करने वाले समाज सेवियों का समय-समय में सम्मान होना चाहिए।