*आज का पञ्चाङ्ग*
*दिनांक – 29 अप्रैल 2025*
*दिन – मंगलवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
*शक संवत – 1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*मास – वैशाख*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – द्वितीया शाम 05:31 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र – कृत्तिका शाम 06:47 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग – सौभाग्य शाम 03:54 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहुकाल – शाम 03:23 से शाम 05:01 तक*
*सूर्योदय – 05:32*
*सूर्यास्त – 06:28*
_स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – उत्तर दिशा मे*
*अग्निवास*
02+03+01=06÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
02+02+5=09÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
विशेष- द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व, अध्याय 21*
*30 अप्रैल 2025 बुधवार को अक्षय तृतीया है ।*
*वैशाखे मासि राजेन्द्र तृतीया चन्दनस्य च । वारिणा तुष्यते वेधा मोदकैर्भीम एव हि । । दानात्तु चन्दनस्येह कञ्जजो नात्र संशयः । । यात्वेषा कुरुशार्दूल वैशाखे मासि वै तिथिः ।तृतीया साऽक्षया लोके गीर्वाणैरभिनन्दिता । । आगतेयं महाबाहो भूरि चन्द्रं वसुव्रता ।कलधौतं तथान्नं च घृतं चापि विशेषतः । ।यद्यद्दत्तं त्वक्षयं स्यात्तेनेयमक्षया स्मृता । । यत्किञ्चिद्दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु ।तत्सर्वमक्षयं स्याद्वै तेनेयमक्षया स्मृता । ।योऽस्यां ददाति करकन्वारिबीजसमन्वितान् ।स याति पुरुषो वीर लोकं वै हेममालिनः । ।इत्येषा कथिता वीर तृतीया तिथिरुत्तमा ।यामुपोष्य नरो राजन्नृद्धिं वृद्धिं श्रियं भजेत् । ।*
अर्थ : वैशाख मास की तृतीया को चन्दनमिश्रित जल तथा मोदक के दान से ब्रह्मा तथा सभी देवता प्रसन्न होते हैं | देवताओं ने वैशाख मास की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा है | इस दिन अन्न-वस्त्र-भोजन-सुवर्ण और जल आदि का दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है | इसी तृतीया के दिन जो कुछ भी दान किया जाता है वह अक्षय हो जाता है और दान देनेवाला सूर्यलोक को प्राप्त करता है | इस तिथि को जो उपवास करता है वह ऋद्धि-वृद्धि और श्री से सम्पन्न हो जाता है |
*ससुराल मे कोई तकलीफ*
किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें … उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें.. भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें.. शुक्ल पक्ष की तृतीया को.. अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें … बिना नमक का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाए बस…… अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल
*माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,*
*वैशाख शुक्ल तृतीया (यानी 30 अप्रैल 2025 बुधवार को) और*
*भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया*
जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें … बिना नमक का भोजन करें ….जरुर लाभ होगा…
.ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार बिना नमक का भोजन…. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उनके साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश में रात को हम उन का दर्शन करते हैं …
शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं ….. जो जानकार ब्राम्हण होते है वो बोलते है… शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..” ऐसा नियम है….
चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की यानी २७ पत्नियों में से प्रधान हुई…. चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था… तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें …. उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें … कुम-कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये॥
*एकादशी*
08 मई 2025 दिन गुरुवार मोहिनी एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष व्रत*
09 मई 2025 शुक्रवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
12 मई 2025 दिन सोमवार स्नान दान व्रत वैशाखी पीपल पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*