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आज का पंचांग 5 अप्रैल 2025

By Janhit TV

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आज का पञ्चाङ्ग

*दिनांक – 05 अप्रैल 2025*
*दिन – शनिवार*
*संवत्सर – सिद्धार्थ*
*विक्रम संवत – 2082*
*शक संवत -1947*
*कलि युगाब्द – 5127*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – वसंत ॠतु*
*मास – चैत्र*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – अष्टमी शाम 07:26 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र – पुनर्वसु 06 अप्रैल प्रातः 05:32 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग – अतिगण्ड रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहुकाल – सुबह 09:35 से सुबह 11:08 तक*
*सूर्योदय – 05:48*
*सूर्यास्त – 06:12*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशाशूल – पूर्व दिशा मे*
*अग्निवास*
08+07+01=16÷4=00 प्रथ्वी लोक में।
*शिववास*
08+08+5=21÷7 =00 श्मशान वासे।
*व्रत पर्व विवरण- अशोकाष्टमी,दुर्गाष्टमी,भवानी प्राकट्य*
विशेष-
नवरात्रि कन्या पूजन विधि

कन्या पूजन करने से एक दिन पहले ही कन्याओं को आमंत्रित करें। अगर आप अष्टमी को कन्या पूजन कर रहे हैं तो सप्तमी तिथि को कन्याओं को आमंत्रित कर लें और अगर नवमी तिथि को कर रहे हैं तो अष्टमी तिथि को आमंत्रित करें। साथ ही पूरे घर को साफ रखें क्योंकि घर आने वाली कन्याएं मां दुर्गा का प्रतीक हैं। कन्या जब घर आ जाएं तो उनको सीधे भोजन के लिए ना बैठाएं बल्कि पहले उनके दूध या पानी पांव धोएं। इसके बाद पानी को अपने सिर पर लगाएं, फिर हल्दी व कुमकुम का टीका लगाएं। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्वच्छ आसन पर बैठाएं।

कन्या पूजन में इस बात का रखें ध्यान

कन्या पूजन में कन्याओं को हलवा चना के साथ पूड़ी, खीर, सब्जी आदि चीजें सामर्थ्य के अनुसार परोसें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं और लांगूरा को जबरदस्ती भोजन ना कराएं। वे जितना खाएं, उतना ही आदरपूर्वक खिलाएं। भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या उपहार देकर लाल चुनरी ओढाएं और पूरे परिवार के साथ पैर छूकर आशीर्वाद लें और माता के जयकारे लगाते हुए उनको विदा करें।
*पुष्य नक्षत्र योग*
06 अप्रैल 2025 रविवार को सूर्योदय से 07 अप्रैल सूर्योदय तक रविपुष्यामृत योग है ।
१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
*ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |…… ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |*
*कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में*
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
*रविपुष्यामृत योग*
‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
*चैत्र नवरात्रि*
05 अप्रैल 2025 अष्टमी।
06 अप्रैल 2025 राम नवमी, महानवमी व्रत। नवरात्रि से संबंधित हवन पूजन 11:13 बजे तक किया जायेगा।
पूर्ण नवरात्रि व्रत पारण 07 अप्रैल 2025 दिन सोमवार को सुबह 07 बजे पारण करे।
*एकादशी*
08 अप्रैल 2025 दिन मंगलवार कामदा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
10 अप्रैल 2025 दिन गुरुवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
12 अप्रैल 2025 दिन शनिवार स्नान दान व्रत वैशाखी पूर्णिमा।
*पंo वेदान्त अवस्थी*

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