आज का पंचांग
*दिनांक – 2 सितम्बर 2024*
*दिन – सोमवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – भाद्रपद*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – अमावस्या प्रातः 07:24 सितम्बर 3 तक*
*नक्षत्र – मघा रात्रि 12:20 सितम्बर 03 तक तत्पश्चात पूर्व फाल्गुनी*
*योग – शिव शाम 06:20 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल – प्रातः 07:56 से प्रातः 09:31 तक*
*सूर्योदय – 05:44*
*सूर्यास्त – 06:16*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*अग्निवास*
30+02+01=33÷4=01 स्वर्ग लोक में।
*शिववास*
30+30+5=65÷7 =02 गौरी सन्निधौ वासे।
व्रत पर्व विवरण – दर्श अमावस्या, सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से सितम्बर 3 सूर्योदय तक), देव सावर्णि मन्वादि, अन्वाधान, पोला
विशेष – अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*ग़रीबी – दरिद्रता मिटाने के लिए*
02 सितम्बर 2024 सोमवार को सूर्योदय से 03 सितम्बर, सूर्योदय तक सोमवती अमावस्या है।
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार अगर तुलसी की परिक्रमा करते हो, ॐकार का थोड़ा जप करते हो, सूर्य नारायण को अर्घ्य देते हो; यह सब साथ में करो तो अच्छा है, नहीं तो खाली तुलसी को 108 बार प्रदक्षिणा करने से तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी |
*नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए*
02 सितम्बर 2024 सोमवार को भाद्रपद अमावस्या, दर्श अमावस्या, पीठोरी -कुशोत्पाटिनी अमावस्या, सोमवती अमावस्या है।
घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
*अमावस्या*
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
*धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए*
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
*आहुति मंत्र*
*१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*
स्वस्तिक का महत्त्व क्यों ?
स्वस्तिक अत्यंत प्राचीनकाल से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है । इसीलिए प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में सर्वप्रथम स्वस्तिक का चिह्न अंकित करने का आदिकाल से ही नियम है ।
स्वस्तिक शब्द मूलभूत ‘सु’ और ‘अस्’ धातु से बना है । ‘सु’ का अर्थ है – अच्छा, कल्याणकारी, मंगलमय । ‘अस्’ का अर्थ है – अस्तित्व, सत्ता। तो स्वस्तिक माने कल्याण की सत्ता, मांगल्य का अस्तित्व ।
स्वस्तिक शांति, समृद्धि एवं सौभाग्य का प्रतीक है । सनातन संस्कृति की परम्परा के अनुसार पूजन के अवसरों पर, दीपावली पर्व पर, बहीखाता पूजन में तथा विवाह, नवजात शिशु की छठी तथा अन्य शुभ प्रसंगों में व घर तथा मंदिरों के प्रवेशद्वार पर स्वस्तिक का चिह्न कुमकुम से बनाया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि ‘हे प्रभु ! हमारा कार्य निर्विघ्न सफल हो और हमारे घर में जो अन्न, वस्त्र, वैभव आदि आयें वे पवित्र हों ।’
किसी भी मंगल कार्य के प्रारम्भ में यह स्वस्ति मंत्र बोला जाता है :
*स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः*
*स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।*
*स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः*
*स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥*
*ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।*
‘महान कीर्तिवाले इन्द्रदेव ! हमारा कल्याण कीजिये, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव (सूर्यदेव) ! हमारा कल्याण कीजिये, जिनका हथियार अटूट है ऐसे गरुड़देव ! हमारा मंगल कीजिये, बृहस्पतिजी ! हमारे घर में कल्याण की प्रतिष्ठा कीजिये ।’ (यजुर्वेद : २५.१९)
स्वस्तिक का आकृति विज्ञान स्वस्तिक हिन्दुओं का प्राचीन धर्म-प्रतीक है । यह आकृति ऋषि-मुनियों ने अति प्राचीनकाल में निर्मित की थी। एकमेव अद्वितीय ब्रह्म ही विश्वरूप में फैला है यह बात स्वस्तिक की खड़ी और आड़ी रेखाएँ समझाती हैं । स्वस्तिक की खड़ी रेखा ज्योतिर्लिंग का सूचन करती है और आड़ी रेखा विश्व का विस्तार बताती है । स्वस्तिक की चार भुजाएँ यानी भगवान श्रीविष्णु के चार हाथ । भगवान विष्णु अपने चार हाथों से दिशाओं का पालन करते हैं । देवताओं की शक्ति और मनुष्य की मंगलमय कामनाएँ. – इन दोनों के संयुक्त सामर्थ्य का प्रतीक यानी ‘स्वस्तिक’ !
सामुद्रिक शास्त्रों के अनुसार भी स्वस्तिक एक मांगलिक चिह्न है। भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण के चरणों में भी स्वस्तिक चिह्न अंकित था ।
*हरतालिका तीज व्रत*
06सितम्बर 2024 हरतालिका तीज व्रत।
*पंचक*
16 सितम्बर 2024 सोमवार को सुबह 05:45 बजे से 20 सितम्बर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 05:15 बजे तक।
*एकादशी*
14 सितम्बर 2024 पद्मा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
15 सितम्बर 2024 दिन रविवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
17 सितम्बर 2024 दिन मंगलवार अनंत चतुर्दशी व्रत पूर्णिमा।
पूर्णिमा श्राद्ध।
18 सितम्बर 2024 दिन बुधवार स्नान दान पूर्णिमा।
प्रतिपदा श्राद्ध।
*अमावस्या*
02 सितम्बर 2024 दिन सोमवार पितृकार्ये (सोमवती अमावस्या) ।
03 सितम्बर 2024 दिन मंगलवार देव कार्ये (भौमवती अमावस्या)।
*पंo वेदान्त अवस्थी*