आज का पंचांग
*दिनांक – 16 अगस्त 2024*
*दिन – शुक्रवार*
*संवत्सर –काल युक्त*
*शक संवत –1946*
*विक्रम संवत् – 2081*
*कलि युगाब्द –5126*
*अयन – दक्षिणायन*
*ऋतु – वर्षा*
*मास – श्रावण*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – एकादशी प्रातः 09:39 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र – मूल दोपहर 12:44 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग – विष्कम्भ दोपहर 01:12 अगस्त 16 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहु काल – प्रातः 11:07 से दोपहर 12:44 तक*
*सूर्योदय – 05:32*
*सूर्यास्त – 06:28*
स्थानीय समयानुसार राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय समय में अंतर सम्भव है।
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*अग्निवास
11+06+01=18÷4=02 पाताल लोक में।
*शिववास*
11+11+5=27÷7 =06 क्रीड़ा याम वासे।
*व्रत पर्व विवरण – विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल दोपहर 12:31 से सूर्यास्त तक), पुत्रदा पवित्रा एकादशी, वरलक्ष्मी व्रत, दामोदर द्वादशी*
विशेष – एकादशी को सिम्बी (सेम) व द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*एकादशी व्रत के लाभ*
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुणा पुण्य होता है ।
*पंचक*
19 अगस्त 2024 दिन सोमवार साय 07:01 बजे से 23 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार को साय 07:54 बजे तक।
*एकादशी*
16 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार पवित्रा एकादशी व्रत सर्वे।
*प्रदोष*
17 अगस्त 2024 दिन शनिवार प्रदोष व्रत।
*पूर्णिमा*
19 अगस्त 2024 दिन सोमवार स्नान दान व्रत पूर्णिमा भद्रोपरांत रक्षा बंधन ।
*पंo वेदान्त अवस्थी*