सौभाग्य योजना : ठेकेदारों सहित बिजली अधिकारियों के लिए भी बनी दुर्भाग्य योजना—- स्लग अब तक 6 ठेकेदारों व 2 इंजीनियरों को मौत ने निगला –हे
समशेर सिंह गहरवार,रीवा।
बिजली विभाग की सौभाग्य योजना कई ठेकेदारों सहित बिजली अधिकारियों के लिए दुर्भाग्य योजना साबित हुई । जांच ने अनेक प्रकार के विवादों को जन्म दिया । बीपीएल कार्डधारकों के घरों को एक बत्ती कनेक्शन देकर रोशन करने के लिए वर्ष 2016 से 2019 तक चलाई गई सौभाग्य योजना के तहत जिन ठेकेदारों ने योजना में अधिक कार्य किए थे उनके कार्यों का मेजरमेंट नहीं किया गया। ना हीं उसको रिकॉर्ड में लिया गया। ऊपर से अधिकारियों ने अपने जांच में योजना को भ्रष्टाचार की श्रेणी में खड़ा कर दिया और रिकवरी निकाल दी। जबकि उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी धरातल पर मौजूद है एवं उपभोक्ता उसका फायदा भी उठा रहे हैं। वहीं बिजली कंपनी द्वारा भी प्रति माह उपभोक्ताओं को बिलिंग भी की जा रही है एवं राजस्व की प्राप्ति हो रही है। पता चला है कि सौभाग्य योजना के अधिकारियों द्वारा योजना की सफलतापूर्वक समाप्ति के क्लोजर रिपोर्ट भी प्रस्तुत की । जिसमें रिकवरी एवं किसी प्रकार की कोई अनियमितता का उल्लेख भी नहीं है। जिन कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जांच सौभाग्य योजना के अंतर्गत की गई है । वे सब अब बरी होते हुए नजर आ रहे हैं । साथ में एक या दो इंक्रीमेंट उनके रोक कर उन्हें माइनर पनिशमेंट की श्रेणी में रखा गया है,जो कि गलत है। किसी भी अधिकारी के खिलाफ लगाए गए कोई भी आरोप पूर्णतया धरातल पर सिद्ध नहीं हो रहे। क्योंकि कुछ अधिकारियों द्वारा विधानसभा को यह सूचना भी प्रेषित कर दी कि सौभाग्य में 43 करोड़ की रिकवरी निकाली गई है। वहीं सौभाग्य योजना की जांच करवाई जा रही है उसमें अनियमितता पाई गई है। सिर्फ इस आधार पर अधिकारियों की बातों को सिद्ध करने के लिए रिकवरी बनाई गई ।
वहीं अपने ही विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारियों को माइनर पनिशमेंट से नवाजा गया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कनिष्ठ अभियंता संदीप बघेल महाराजपुर मंडला के निधन का निधन हो गया। वह सौभाग्य योजना के सस्पेंशन से मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे। जिससे उनका स्वास्थ्य और खराब हुआ साल भर से गंभीर रूप से बीमार थे। बिजली विभाग के वरिष्ठ कांटेक्टर जेपीएस दुबे की माने तो अब तक सौभाग्य योजना ने अभी तक 6 ठेकेदारों एवं 2 इंजीनियर की बलि ले ली। यह आंकड़ा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर क्षेत्र का है। अधिकारियों को सौभाग्य योजना की जांच के लिए भेजा गया था । वह आपस में एक साथ बैठकर एक सामूहिक रूप से एक परसेंटेज निर्धारित कर रिकवरी निकालने का प्रावधान बना दिया । क्या वह इन हत्याओं की जिम्मेवारी लेंगे या शासन उन्हें उनके लिए जिम्मेदार ठहराएगा? अधिकृत जानकारी के लिए पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीएमडी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।