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जिले में दम तोड़ रहा स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल का आदेश!

By Janhit TV

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जिले में दम तोड़ रहा स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल का आदेश !
कार्रवाई न होने से झोलाछाप डॉक्टर बन रहे काल,स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निंद्रा में
—– हर मर्ज का कर रहे इलाज, दवा बोतल चढ़ाना इन झोलाछाप डॉक्टरों का बना पेशा
रीवा। जिले भर की ज्वलंत समस्या बन चुकी है कि सब्जी भाजी की दुकान तर्ज पर हॉट बाजार और चौराहे में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक खोलकर बैठे हैं। मर्ज चाहे कोई भी हो ऐसे डॉक्टरों के पास पूरा इलाज होता है। जो इलाज हुआ दवा के नाम पर ग्रामीणों का जमकर शोषण करने जुटे हैं। इसके बावजूद भी जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर संचालनालय के आदेश का कोई असर नहीं हो सका। जबकि स्वास्थ्य विभाग संचालनालय भोपाल द्वारा जुलाई माह में सीएम‌एच‌ओ , क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य वह आदेशित करते हुए कहा गया था कि अपने जिले में फैले झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई अभियान चलाएं। जो जो मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ में जुटे हैं जिनके पास कोई डिग्री भी नहीं है। इसके बावजूद भी संभाग के क्षेत्रीय संचालक व जिले के सीएम‌एच‌ओ पर कोई असर नहीं हो पाया कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का अभियान चलाएं। कंटेंट झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ करवाई अभियान ना शुरू होने की वजह से खामियाजा ग्रामीण लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिलेभर की ग्राम पंचायत में देखा जाए तो वहां पर 4 से 6 झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक खोलकर बैठे मिलेंगे । जिनके दवाई से कोई ना कोई मरीज ठीक होने की वजाय,बीमार ज्यादा होते है और जान जाने की नौबत आ जाती है।
बाक्स: डॉक्टर जैसानी के कार्यकाल में शुरू हुआ था अभियान
कुछ साल पहले रीवा के सीएमएचओ डॉक्टर सुधीर जैसानी थे। उनके कार्यकाल में जिले भर में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ जांच व कार्रवाई अभियान चला था। डॉक्टर जैसानी के स्थानांतरित होने के बाद से जिले में अब तक फर्जी डिग्री धारी डॉक्टर के खिलाफ जांच अभियान अब तक शिथिल पड़ा हुआ है। उसी समय गुढ़ , मनगवां,जवां, डभौरा,त्यौंथर सहित अन्य सहित अन्य जगहों पर भी कई झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही हुई थी। जबकि अधिकारी व उनकी टीम अब भी पदस्थ है लेकिन कार्यवाही न होने के बाद पुनः झोलाछाप अब पूरे डॉक्टर बन गये है। पता चला है कि ऐसे डॉक्टरों के पास जैसे ही मरीज पहुंचते हैं इन डॉक्टरों द्वारा सबसे पहले बोतल चढ़ाया जाता है। मर्ज कोई भी हो सेवा बोतल से ही शुरू होती है। जब मरीज मरनासन्न हो जाते हैं तो फिर तुरंत रीवा, नागपुर ले जाने की सलाह दी जाती है। पीड़ित मरीजों के अनुसार तब तक में 4 से 6 हजार तक एट लिया जाते हैं। यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है कि रीवा जिले की स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम गहरी निद्रा में है। ऐसा हाल रीवा में पदस्थ स्वास्थ्य विभाग के सुस्त पड़े अधिकारियों की वजह से हो रहा है।
बाक्स: मिल रहा बढ़ावा
कार्रवाई के अभाव में इन झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिला हुआ है। क्योंकि इन पर कभी कार्रवाई नहीं होती है। कार्यवाही केवल शहर तक ही सीमित रहती है। कुछ चुनिंदा क्लिनिको व नर्सिंग होम पर कार्यवाही करके उनको सील कर दिया जाएगा? इन झोलाछाप डॉक्टरों पर या गांव या देहात में स्वास्थ्य विभाग की नजर नहीं पड़ती। जिसकी वजह से इन झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला रहता है। गरीब मजदूर और किसानों को इन झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फसने का कारण केवल यही है की हर गांव में कुकुरमुते की तरह फैले हुए हैं। ग्रामीण अंचलों में चिकित्सा संसाधनों की कमी के चलते ग्रामीणों के पास एक ही विकल्प बचता है कि बीमारी की हालत में झोलाछाप डाक्टर की शरण में जाए। केवल उनको दवा चाहिए और दर्द से राहत और आराम मिले तो उनको केवल झोलाछाप डॉक्टर को दिखाई देता है ओर उनको दिखाना मजबूरी हो जाता है। लेकिन रीवा स्वास्थ्य विभाग आंख बंद करके मौन धारण किए हुए हैं । जब कोई बड़ी घटना घटेगी तब पूरा प्रशासन जाग उठेगा।
बाक्स: सुस्त पड़ी सीएमएचओ की जांच टीम
उल्लेखनीय है कि जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा फर्जी डिग्री धारी झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ जांच टीम का गठन किया जा चुका है। जिसमें डॉक्टर बी एल चौधरी, डॉ विकास सोहगौरा, डॉ अनुराग शर्मा सहित क्लीनिकल प्रभारी विजय तिवारी शामिल है। पता चला है कि यह जांच टीम सिर्फ कागजी औपचारिकता तक ही सीमित होकर रह गई है फील्ड में जांच करने नहीं पहुंच पा रहे।

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